गुड्डन अपने लकवा ग्रसित पति को लेकर नर्मदा पल्ले-पार बरेली से बस मे बैठ गईं, साथ मे दस साल और बारह साल के दो बच्चे भी थे ! बस मे भीड़ ऐसी की अंदर ठई मची थी सब पसीने से लथपथ, यह समझना मु
एकाएक ऐसा वक्त आ गया की मैंने अपनी सभी कहानियो को अधूरा छोड़ दिया और वर्तमान समय में होने वाली घटनाओ को गौर से देखने लगा। सब के लिए ये पहली बार घटने वाली घटना थी बंद बंद सब
इस कहानी संग्रह में सात कहानियाँ है १. नेत्र छेदन एक प्रथा -क्या बीतती जब कानों की बस्ती में जब किसी दो आँखों वाले सामान्य व्यक्ति को रहना पड़ता है. २. दोस्ती से भक्ति तक - हर कृष्ण क
इस कहानी संग्रह में कुल पांच कहानी है अपनी धरती अपना है चमन टीटू और कोताड़ु अपवाहे- टिल का ताड शेर का मुंडन संस्कार सदाचारी शेर सभी कहानियाँ जगँल के साम्राज्य और जंगल
महुआ गुड्डन भी अपने लकवा ग्रसित पति को लेकर पल्ले-पार ( नर्मदा के उस पार ) बरेली से बस मे बैठ गईं साथ मे दस साल और बारह Read More...
नाम था उसका आशिक़ मियां, पूरी तरह सफेद बाल को महंदी लगा कर लाल कर रहते थे , काला पठानी पहने अक्सर कुछ कुछ लिखते दिखते Read More...