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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
धड़कन मिश्रा अपने खानदान के इकलौते चिराग हैं। मीडियम, डार्क एंड हैंडसम। विरासत में उनके हाथ आया चवन्नी और खूब सारा कर्ज। चवन्नी उनका सहकर्मी है। लालटेन नगर में जब एक-तरफा इश्क की
धड़कन मिश्रा अपने खानदान के इकलौते चिराग हैं। मीडियम, डार्क एंड हैंडसम। विरासत में उनके हाथ आया चवन्नी और खूब सारा कर्ज। चवन्नी उनका सहकर्मी है। लालटेन नगर में जब एक-तरफा इश्क की चर्चा होती है, मिश्रा जी का नाम सबसे पहले आता है। न मान रहे हैं, और ना ही मना पा रहे हैं। इन सबके बीच एक किसान आंदोलन में अलग उलझ गए। सुकून की तलाश में हैं। करीब भी हैं। पर कोसों दूर। जितना खींच-तान भरा उनका जीवन है, कायदे से हार मान लेना चाहिए था। पर नहीं। जब नियति लड़ाती है तब इंसान लड़ता है। ऐसे ही नहीं बन जाता, कोई अपनी कहानी का नायक।
धड़कन मिश्रा अपने खानदान के इकलौते चिराग हैं। मीडियम, डार्क एंड हैंडसम। विरासत में उनके हाथ आया चवन्नी और खूब सारा कर्ज। चवन्नी उनका सहकर्मी है। लालटेन नगर में जब एक-तरफा इश्क की
धड़कन मिश्रा अपने खानदान के इकलौते चिराग हैं। मीडियम, डार्क एंड हैंडसम। विरासत में उनके हाथ आया चवन्नी और खूब सारा कर्ज। चवन्नी उनका सहकर्मी है। लालटेन नगर में जब एक-तरफा इश्क की चर्चा होती है, मिश्रा जी का नाम सबसे पहले आता है। न मान रहे हैं, और ना ही मना पा रहे हैं। इन सबके बीच एक किसान आंदोलन में अलग उलझ गए। सुकून की तलाश में हैं। करीब भी हैं। पर कोसों दूर। जितना खींच-तान भरा उनका जीवन है, कायदे से हार मान लेना चाहिए था। पर नहीं। जब नियति लड़ाती है तब इंसान लड़ता है। ऐसे ही नहीं बन जाता, कोई अपनी कहानी का नायक।
जीवन में लगे हर आग का कारण सिर्फ आपकी गलतियाँ नहीं होती हैं, कुछ आपकी किस्मत भी सुलगा देती है। ये कहानी है बबलू शुक्ला की। जनाब कांट्रेक्टर हैं। 28 के हो गए हैं, पर शादी नहीं हुई अभी
जीवन में लगे हर आग का कारण सिर्फ आपकी गलतियाँ नहीं होती हैं, कुछ आपकी किस्मत भी सुलगा देती है। ये कहानी है बबलू शुक्ला की। जनाब कांट्रेक्टर हैं। 28 के हो गए हैं, पर शादी नहीं हुई अभी तक। खुद कुछ कर नहीं पाए, अम्मा को कुछ करने नहीं देते। ये गाँव के वो युवा हैं, जो इनकी उम्र में अविवाहित रह जाएँ तो लोग युवा कहने से भी कतराने लगते हैं। शादी से डरते नहीं हैं, बस थोड़ा नरबसा जाते हैं। ठेकेदारी की शुरुआत छोटे-मोटे कामों से हुई थी, पर जब से इनको समझ आया है कि रिश्वत देकर सरकारी tender मिल जाते हैं, काम अलग ही level पर पहुँच गया है। इस कहानी में एक लड़का है, एक लड़की है, दो दोस्त हैं, एक गाँव है। वो सब कुछ, जो हो सकता है। पर इसके साथ मिलेगा शुक्ला जी का खुद पर अपार विश्वास, धंधे में आ रही दिक्कतें, रिश्तों की गहराई, नैतिकता पर सवाल और हल्का सा इश्क। बस... हल्का सा।
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