रोज़ अपने चेहरे पर एक बनावटी हंसी लिए चलता हूं
एक फूल जैसे
कभी मुरझाता हूं
कभी खिल उठता हूं
इसीलिए तो कहता हूं
जो दर्द मैने सहे आप न सह पाओ
स्वपन तो देखो पर उनपर क
मेरी यह किताब संपूर्ण रूप से मेरे साथ जुड़ी हुई है क्योंकि
इस किताब में मेरे बचपन से लेकर आज तक की सारी परेशानियों का जिक्र है
मेरी स्वरचित कविताएं
किताब में वह सब कविताएं लिखी गई हैं जो कि स्वयं एक्सपीरियंस की गई हैं
जैसे कि हस्पताल की दास्तां
कोरोना के कारण वातावरण में बदलाव
चुनाव की हार जीत
Here, Me Jatin Mittal presenting to you my life from my birth till today. So let's start my real life story from birth, Me Jatin took birth on 11th of December 1999 After birth my badluck started I have to live in a medical machine for a month then my parents decided my name&nb Read More...