माता सीता की जीवन - चरित्र से सभी परिचित है । उनके चरित्र से मिली सीख से भी हम अछूते नहीं है परन्तु वास्तविकता में उस सीख को आज अपनी जीवन शैली में उतार पाना ही हमारी परीक्षा है
आशाओं के घेरे में , पग - पग के डेरे में , संभल - संभल कर जीते हैं , कहीं खो न दे एक - दूजे को , इसी डर में रहते हैं।
झिलमिल करती एक किरण , उतरी जो मां के आंगन , लिया समेट उस आंचल में , वार दिया उसपे तन - मन । कहने लगी उसे फिर मैया ; क्यों Read More...