इस पुस्तक में हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि जय शंकर प्रसाद की कालजयी कृति कामायनी के दार्शनिक पक्ष की या यूँ कहें कि जय शंकर प्रसाद की दार्शनिक जीवन पद्धति का अध्ययन करने का प्र
'कण कण होगा मलियाली' संग्रह की कविताएँ जीवन के संघर्ष की कविताएँ है। इन कविताओं में मानव मन की पीड़ा का साकार रूप दिखाई देता है। मानव मन जब परिस्थितियों से टूटने लगता है तो उन विपरी
हस्तगत कविता संग्रह में प्रस्तुत कविताओं को लिखने का क्रम मेरे विद्यालयीकाल से ही प्रारंभ हो चुका था। वास्तव में संग्रह में प्रस्तुत कविताएँ मेरे मस्तिष्क में होने वाली हलचलो
कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान देखा रूप निराला प्रकृति का निखरा हुआ रंग-रूप सजी सँवरी धरा दूर दूर तक Read More...