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इस "काव्य क्षितिज" काव्य संग्रह में हमारे मन में स्वयमेव रची जाती रहती कविताओं की ही छवियां हैं.यह काव्य हर पाठक को उनके दिल से दिल की बातों को प्रदर्शित करती है। दरअस्ल, कवि स्थान
इस "काव्य क्षितिज" काव्य संग्रह में हमारे मन में स्वयमेव रची जाती रहती कविताओं की ही छवियां हैं.यह काव्य हर पाठक को उनके दिल से दिल की बातों को प्रदर्शित करती है। दरअस्ल, कवि स्थानिकता की संवेदनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति कर पाने में आश्चर्यजनक रूप से क़ामयाब होता है. कुछ धार्मिक ,सामाजिक , प्रेम और व्यवहारिक सत्य के साथ कविता में प्रकट करना अमित कुमार की काव्य कला की मुख्य ख़ासियत है।कविताओं की बुनावट पाठक की मदद करती है कि वह विद्रूपताओं और साजिशों को समझते हुए काव्य रस भी ग्रहण कर सके.
रोकना तो रोक ले मुझको, तू खुद ही हार कर जाएगा, मरते वक़्त भी मेरे मुख पे, तू हँसता चेहरा पाएगा।। सितम जो ढाले हो मुझ प Read More...
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