प्रेम का स्वरूप जैसा भी हो, चाहे वह व्यक्ति विशेष हो या वस्तु विशेष, उसमें यदि गहराई हो तो वह योग बन जाता है। मैंने इसे स्वयं अनुभव किया और प्रेम योग का निर्माण हुआ। यही प्रेम-यो
प्रेम का स्वरूप जैसा भी हो, चाहे वह व्यक्ति विशेष हो या वस्तु विशेष, उसमें यदि गहराई हो तो वह योग बन जाता है। मैंने इसे स्वयं अनुभव किया और प्रेम योग का निर्माण हुआ। यही प्रेम-यो
मैं,मेरी मां,मेरी छोटी बहन और मेरे बड़े भाई दोपहर के भोजन के उपरांत गांव के एक छोटे से मिट्टी की कमरे में आराम कर रहे Read More...