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प्रशान्त 'बेबार' का जन्म कृष्ण-नगरी मथुरा में वर्ष 1991 में हुआ है। लगभग पिछले दो दशक से निरंतर नज़्मों, गीतों और कहानियों के ज़रिए सामाजिक एवं मानवीय जटिलताओं की एहसास-बयानी करते रहे हैं। आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकRead More...
प्रशान्त 'बेबार' का जन्म कृष्ण-नगरी मथुरा में वर्ष 1991 में हुआ है। लगभग पिछले दो दशक से निरंतर नज़्मों, गीतों और कहानियों के ज़रिए सामाजिक एवं मानवीय जटिलताओं की एहसास-बयानी करते रहे हैं। आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपका काव्य संग्रह 'दरीचे' वर्ष 2020 में प्रकाशित हुआ है और मात्र छह महीने के अंदर ही देश-विदेशों में कई हज़ार प्रतियाँ बिकने के पश्चात बेस्ट सैलर भी घोषित हुआ।
प्रशान्त बेबार विश्व हिंदी अकादमी द्वारा 'हिंदी सेवा सम्मान', पोयट्री वर्ल्ड ऑर्गनाईज़ेशन के ‘अल्फ़ाज़ 2019' और 'विंगवर्ड काव्य पुरस्कार 2019' से पुरस्कृत हैं तथा अनेक साहित्यिक संगोष्ठियों में भागीदारी रखते हैं। सम्प्रति में प्रशान्त मुम्बई में रहते हैं एवं लेखन का कार्य कर रहे हैं।
Read Less...“अरे ! कुकर चार सीटी दे चुका है, जल्दी बंद कर. अब सारे आलूओं का हलवा कर के मानेगी क्या ?”, आरोही की माँ ने ज़ोर से आवाज़ Read More...
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