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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमेरा जन्म बिजनौर में हुआ और मैंने अपनी पढ़ाई भी वही से की। मेरी पढ़ाई गवर्नमेंट स्कूल और उसके बाद गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज से हुई है। मुझे शुरू से ही पढ़ने और पढ़ाने का शौक है। मैं अपने छोटे भाई बहनों और पड़ोस के बच्चो को भी पढ़ाती थीRead More...
मेरा जन्म बिजनौर में हुआ और मैंने अपनी पढ़ाई भी वही से की। मेरी पढ़ाई गवर्नमेंट स्कूल और उसके बाद गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज से हुई है।
मुझे शुरू से ही पढ़ने और पढ़ाने का शौक है। मैं अपने छोटे भाई बहनों और पड़ोस के बच्चो को भी पढ़ाती थी। इंटर के बाद मैंने बी॰ए और एम॰ए इकोनॉमिक्स से किया। हिंदी से लगाव के कारण मैंने अपने दोनों बेटो के थोड़े बड़े होने के बाद एम॰ए हिंदी से भी किया।
मैंने मथुरा के पास एक गाव में प्रिंसिपल की पोस्ट पर काम किया और बच्चो को पढ़ाया भी। मैंने वहाँ पढ़ाना तब छोड़ा जब मेरे पति का ट्रांसफर गुवाहाटी हो गया। लेकिन मैंने अपनी पढ़ाने की इच्छा पूरी करने के लिए बच्चो को ट्यूशन पढ़ाये।
आज इतने सालों बाद भी मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। किताबों से घिरा रहना और उनके शब्दों में सुकून ढूँढना ये दोनों ही चीज़ें मेरे मन को प्रिय है।
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यादों को एक घर देना एक बहुत ही लुभावना अनुभव है। मेरे पति और ससुर अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनकी रचनाएँ अभी भी कविताओं के माध्यम से जीवित हैं। उनके शब्द, जो अब तक केवल मेरे और मे
यादों को एक घर देना एक बहुत ही लुभावना अनुभव है। मेरे पति और ससुर अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनकी रचनाएँ अभी भी कविताओं के माध्यम से जीवित हैं। उनके शब्द, जो अब तक केवल मेरे और मेरे परिवार के पास थे, मैं चाहती थी कि उन्हें एक नया घर दिया जाए। इसलिए जब मेरे बेटे ने मुझे बताया कि हम इन कविताओं को एक किताब के ज़रिए लोगों तक पहुँचा सकते हैं, तो मैंने इस अवसर को गँवाना उचित नहीं समझा। इस किताब के माध्यम से मैं उन दोनों के मन की बातें और अपनी कुछ रचनाएँ आपके सामने रख रही हूँ।
कविताएँ लिखना, उन्हें पढ़ना और उनके बारे में बातें करना मुझे हमेशा से बहुत पसंद रहा है। आशा है कि इन कविताओं को पढ़कर आप वही महसूस करेंगे, जो उस पल उनके लेखक ने किया होगा।
यादों को एक घर देना एक बहुत ही लुभावना अनुभव है। मेरे पति और ससुर अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनकी रचनाएँ अभी भी कविताओं के माध्यम से जीवित हैं। उनके शब्द, जो अब तक केवल मेरे और मे
यादों को एक घर देना एक बहुत ही लुभावना अनुभव है। मेरे पति और ससुर अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनकी रचनाएँ अभी भी कविताओं के माध्यम से जीवित हैं। उनके शब्द, जो अब तक केवल मेरे और मेरे परिवार के पास थे, मैं चाहती थी कि उन्हें एक नया घर दिया जाए। इसलिए जब मेरे बेटे ने मुझे बताया कि हम इन कविताओं को एक किताब के ज़रिए लोगों तक पहुँचा सकते हैं, तो मैंने इस अवसर को गँवाना उचित नहीं समझा। इस किताब के माध्यम से मैं उन दोनों के मन की बातें और अपनी कुछ रचनाएँ आपके सामने रख रही हूँ।
कविताएँ लिखना, उन्हें पढ़ना और उनके बारे में बातें करना मुझे हमेशा से बहुत पसंद रहा है। आशा है कि इन कविताओं को पढ़कर आप वही महसूस करेंगे, जो उस पल उनके लेखक ने किया होगा।
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