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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palरोमिका कुमारी एक भावनात्मक और सशक्त लेखन शैली वाली लेखिका हैं, जिनकी कहानियाँ उन ख़ामोश लड़ाइयों को शब्द देती हैं, जो अक्सर हमारे भीतर लड़ी जाती हैं। भारत के सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध वातावरण में जन्मी और दिल्ली कRead More...
रोमिका कुमारी एक भावनात्मक और सशक्त लेखन शैली वाली लेखिका हैं, जिनकी कहानियाँ उन ख़ामोश लड़ाइयों को शब्द देती हैं, जो अक्सर हमारे भीतर लड़ी जाती हैं। भारत के सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध वातावरण में जन्मी और दिल्ली की हलचल भरी ज़िंदगी में पली-बढ़ी रोमिका, परंपरा और विद्रोह—दोनों के बीच की जटिलता को गहराई से महसूस करती हैं।
उनकी पहली पुस्तक बुर्का एक कहानी मात्र नहीं, बल्कि एक दर्पण है—जो पाठकों को अपने भीतर झाँकने के लिए विवश करता है। यह उन अंतर्द्वंदों की बात करती है, जो प्रेम, पहचान और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच फंसे हुए हैं।रोमिका का मानना है कि कहानियाँ केवल पढ़ी नहीं जातीं—उन्हें महसूस किया जाता है।और उसी एहसास में छिपी होती है आत्म-परिवर्तन की शक्ति।
उनकी लेखनी संवेदनशीलता और सच्चाई का संगम है—जो उन सभी के लिए है, जिन्होंने कभी अपने वजूद, अपने सपनों, और अपनी आवाज़ को बचाने की कोशिश की है।
रोमिका का लेखन शैली सहज, लेकिन भीतर तक उतर जाने वाली है।वो मानती हैं कि कहानियाँ केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन और सामाजिक दर्पण बनने की ताक़त रखती हैं।बुरक़ा को लिखते समय उन्होंने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि कहानी पाठक को सिर्फ एक प्रेम कथा न लगे, बल्कि वो एक आइना बन जाए, जिसमें हर कोई कभी न कभी खुद को देख सके।
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वो बचपन का प्यार... जो उम्र भर दिल में रह जाए।
वो रिश्ते... जो दिल से जुड़ते हैं पर समाज से नहीं।
वो सवाल... जो चुपचाप अंदर जलते हैं।
सौम्या का प्यार सच्चा था। उसका डर भी।
उसे
वो बचपन का प्यार... जो उम्र भर दिल में रह जाए।
वो रिश्ते... जो दिल से जुड़ते हैं पर समाज से नहीं।
वो सवाल... जो चुपचाप अंदर जलते हैं।
सौम्या का प्यार सच्चा था। उसका डर भी।
उसे मुसब्बिर से मोहब्बत थी, लेकिन अपने आप से भी कुछ वादे थे।
प्यार, धर्म, समाज और पहचान के बीच झूलती ये कहानी आपको सोचने पर मजबूर करेगी—
‘बुर्का’ एक लड़की की कहानी है, जो अपने वजूद को बचाने के लिए लड़ती है।
जहाँ मोहब्बत के साथ-साथ सवाल भी हैं—धर्म के, पहचान के, और समाज के।
क्या आपने कभी अपने अंदर की आवाज़ को सुनने का साहस किया है?
जब दिल कहे ‘हाँ’ और दिमाग कहे ‘नहीं’, तब सबसे मुश्किल लड़ाई वही होती है—जो हम ख़ुद से लड़ते हैं।
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