मूरख हृदय न चेत निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु के द्वारा लिखी गयी खण्डन पुस्तक है। तुलसीपीठाधीश्वर रामभद्राचार्य के द्वारा रामायण के उत्तरकाण्ड को प्रक्षिप्त बताए जाने के
शतक चन्द्रिका देवी दुर्गा के बत्तीस (३२) नामावली के ऊपर निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु के द्वारा लिखी गयी संस्कृत टीका है। इस ग्रन्थ की पीठिका में ग्रन्थलेखन का प्रयोजन स्पष
विशुद्धोपागम निग्रहागमों के अन्तर्गत आने वाला एक उपागम है। इसे प्राणविद्या भी कहते हैं। यह नाभिदर्शना देवी और निग्रहाचार्य के मध्य हुए संवाद पर आधारित है। इसमें १८० श्लोक एवं
महर्षि अगस्त्य के द्वारा कहे गये शक्तिसूत्र नामक ग्रन्थ में 305 सूत्र हैं। शक्तितत्त्व को निग्रहकर्म में प्रधान माना जाता है तथा शक्ति को निग्रहकारिणी कहते हैं। निग्रह का अर्थ
वेद स्तुति श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कन्ध में वर्णित है। इसे श्रुति गीता भी कहते हैं। इसमें वेदों के द्वारा भगवान् विष्णु के तात्त्विक स्वरूप का वर्णन किया गया है। प्रस्
गोपिका गीत श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कन्ध के ३१वें अध्याय से लिया गया है। इसमें गोपियों के द्वारा श्रीकृष्ण के प्रति की गयी विरह प्रार्थना का वर्णन है। प्रस्तुत संस्करण
अमृत वचन निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु जी के द्वारा कहे एवं लिखे गए लेखों का संग्रह है। इसमें सैकड़ों ग्रन्थों से प्रमाण देकर सनातन धर्म से सम्बन्धित विषयों को प्रकाशित करके
कालजिह्वाप्रशस्ति (गृहपतिसूत्रम्) निग्रहाचार्य एवं गृहपति के मध्य हुए एक संवाद का संग्रह है, जब उन्होंने धर्म के विषय में एक दिव्य स्वप्न देखा था। यह ग्रन्थ दो भागों में विभाजि
वेदों में ब्रह्म का बोध कराने वाले संक्षिप्त किन्तु परिपूर्ण वाक्यों को महावाक्य कहते हैं। शैव मत में चार, वैष्णव मत में पांच, सौर मत में एक, स्कान्द मत में बाईस, गाणपत्य मत में आठ
शिष्य पाथेय एक लघु पुस्तिका है जिसमें सरल भाषा में निग्रह सम्प्रदाय के परिचय तथा नियमावली के विषय में बताया गया है | इस पुस्तिका में निग्रह सम्प्रदाय तथा निग्रहाचार्य से दीक्षि
धुरन्धर संहिता निग्रह सम्प्रदाय का एक प्रमुख ग्रन्थ है जिसके रचयिता एवं उपदेष्टा निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु हैं | इसमें एक हज़ार से अधिक श्लोक एवं बीस पटल (अध्याय) हैं | यह ग
पुरुषसूक्त सनातन धर्म के वैदिक साहित्य का एक प्रधान सूक्त है | इस पुस्तक में शुक्ल यजुर्वेद के पुरुषसूक्त का पुरुषोत्तम भाष्य सम्मिलित किया गया है जिसके रचयिता निग्रहाचार्य श
जीवन दर्शन नाम की यह पुस्तक श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड श्रीभागवतानंद गुरु के द्वारा विभिन्न समय एवं स्थलों पर कहे गए धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक परिप्रेक्ष्यों से युक्
परमाक्षरसूत्र निग्रह सम्प्रदाय का एक प्रमुख ग्रन्थ है जिसके रचयिता निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु हैं | इसमें कामाख्या देवी की कृपा के द्वारा प्राप्त दस परमाक्षर सूत्रों क
दिव्यास्त्र विमर्शिनी निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु के द्वारा रचित एक संकलन ग्रन्थ है जिसमें प्राचीनकाल के अधिकांश दिव्यास्त्रों के मन्त्र, विधान और प्रयोग सम्मिलित किय
महावतार स्तुति ४६ श्लोकों में निबद्ध भगवान् विष्णु एवं उनके अवतारों की लीला तथा प्रशंसा में लिखी गयी एक लघु रचना है | त्रिपुराम्बाशाम्भवीमहाप्रपत्ति देवी ललिता त्रिपुरसुन्द
Bipolar Disorder is a widely spreading mental instability between the society. This book is written by Shri Bhagavatananda Guru based on his personal experiences and studies while dealing with the problem. This book covers almost every question and topic related to bipolar disorder in a simplified manner which can result into a valuable guide for the people who are unaware of it. This book is very useful to cope with the medications and lifestyle to make peopl
उत्तरकाण्ड प्रसङ्ग एवं संन्यासाधिकार विमर्श नाम की यह पुस्तक चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य जी के अशास्त्रीय वक्तव्य एवं धारणाओं का बचाव करने वाले उनके पक्
नक्षत्र माहेश्वरी नक्षत्रों के परिचय, शुभाशुभ विवेचन एवं व्रत सम्बन्धी शास्त्रीय ज्ञान का अनुपम प्रकरण ग्रन्थ है | यह सूत्रात्मक व्यवहारखण्ड एवं श्लोकात्मक प्रयोगखण्ड में व
Business Management is that branch of education which provides knowledge and training pertaining to planning and skills. Management is the act of allocating resources to accomplish desired goals and objectives efficiently and effectively; it comprises planning, organizing, staffing, leading or directing, and controlling an organization (a group of one or more people or entities) or effort for the purpose of accomplishing a goal. It includes all aspects of over
श्रीसूक्त ऋग्वेद के खिलभाग के अन्तर्गत श्रीदेवी (लक्ष्मी) की एक महत्वपूर्ण स्तुति है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल संस्कृत पाठ तथा उसपर श्रीनिग्रहाचार्य के द्वारा विरचित शङ्करभाष
This book contains a complete analysis of the legendary myths of civilizations like Roman, Greek, Celtic, Arabian, British, Japanese and Chinese. From the stories of the Trojan war and adventures of Hercules, Perseus and Theseus to the stories of the White Snake and Battle of Red Cliffs, this book is about the mesmerizing past of our ancestors.