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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalDr. Suman Lata Vohra Vermani has always been drawn to the arts. She earned her MA, M.Phil, and PhD from Music and Dance Department of Kurukshetra University while raising three children. Embracing solitude, she writes with deep passion about love, life, nature, and God. Her poems capture the beauty and challenges of human emotions and social events,blending heartfelt reflections with lyrical elegance. Her rhymes and motivational quotes explore both life’s complexities and her own inner duality. With a natural musical flow and creative skill, her verses celebrate life’s fleeting beauty and Read More...
Dr. Suman Lata Vohra Vermani has always been drawn to the arts. She earned her MA, M.Phil, and PhD from Music and Dance Department of Kurukshetra University while raising three children. Embracing solitude, she writes with deep passion about love, life, nature, and God. Her poems capture the beauty and challenges of human emotions and social events,blending heartfelt reflections with lyrical elegance. Her rhymes and motivational quotes explore both life’s complexities and her own inner duality. With a natural musical flow and creative skill, her verses celebrate life’s fleeting beauty and emotional depth. Her book Inward Reflections: Poems and Quotes from the Heart showcases her heartfelt and relatable style, offering readers a glimpse into her innocent imagination and deeply felt life experiences.
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Dive into Inward Reflections: Poetry and Quotes from the Heart, a heartfelt collection by Dr. Suman Lata Vohra Vermani that beautifully captures the essence of life, love, and the human spirit. Through lyrical poetry and profound quotes, this book explores themes of spirituality, inner strength, and the joy found in everyday moments. Dr. Suman’s words resonate with raw emotion, offering readers a meditative journey into the harmony of the mind and hea
Dive into Inward Reflections: Poetry and Quotes from the Heart, a heartfelt collection by Dr. Suman Lata Vohra Vermani that beautifully captures the essence of life, love, and the human spirit. Through lyrical poetry and profound quotes, this book explores themes of spirituality, inner strength, and the joy found in everyday moments. Dr. Suman’s words resonate with raw emotion, offering readers a meditative journey into the harmony of the mind and heart. Her poems vividly reflect the interplay of emotions, from life's challenges to its fleeting beauty, all articulated with simplicity and grace. This collection is not just poetry, it’s a celebration of life’s rhythms, a tribute to resilience, and an invitation to embrace the beauty within and around us. Perfect for poetry enthusiasts and anyone seeking inspiration, Inward Reflections: Poetry and Quotes from the Heart is a soulful companion that uplifts and empowers, reminding us of the strength in our own stories.
“गीत विन्यास” मेरे मूर्त अमूर्त भावों का आकाश है जो हर पल रंग बदलता है। इन बेज़ुबान भावों की अलग अलग कहानी है। इस बदलते हुए रंग में मेरा अस्तित्व आकार ग्रहण कर के पंख फैलाता है और
“गीत विन्यास” मेरे मूर्त अमूर्त भावों का आकाश है जो हर पल रंग बदलता है। इन बेज़ुबान भावों की अलग अलग कहानी है। इस बदलते हुए रंग में मेरा अस्तित्व आकार ग्रहण कर के पंख फैलाता है और मैं भावों के आकाश के विस्तार को छन्दों में समेट कर अपनी पहचान के गीत बुनती हूं। अतएव ‘गीतविन्यास’ गीतों का वह वन्दनवार है जिस में शब्दों में पिरोए गए भावों को कितनी कितनी शक्लों में चित्रित किया है और वह शब्दों में भी दिखते हैं। शब्दों से ही भावों की देह जागती है। जीवन के हर क्षण को बीन बटोर कर सृजन के कतरों में बिखेर देना ही मेरी कविताओं का लक्ष्य है। शोर के इस संसार में भावों की मौन भाषा है। अत: ये कविताएं मुझ में रमी हुई मेरी खामोशी को रचने बुनने की परिभाषा हैं। मैं को स्वयं में खोजती हुई सन्नाटे में छन्द बुनती हूं, चेतना में वेदना की खरोंचे रचती हूं, प्रेम रस में तरती हूं, प्रकृति के मध्य रमती हुई हरियाली पंछी नदिया पहाड़ सन्नाटा चुनती हूं। आकाश के चांद सितारे सूरज का घेराव फैलाव तनाव का पूरा नक्शा उकेरती हूं। भक्ति की आस से जुड़ती हूं श्रद्धा आस्था से झुकती हूं। शब्दों का सन्तुलन साध कर सुख दुख के छन्द लय में गतिवान कर सूनेपन और नीरवता में अपने रंग बिखेरती हूं। यह मेरा आत्मिक वक्तव्य हैं जो शब्दों को उन की सही जगह पर बसाते हैं जिससे शब्दों को भी अपनापन मिलता है। शब्दों की नियति भी यही है कि वह अपनी सही पहचान बना कर सही स्थान पर सही पते पर पहुंचें। सच कहूं तो इन कविताओं में मेरा अपना मिज़ाज ही बोलता है जो शब्दों के बहुल बिम्ब संसार कविता में ढल कर मेरी संवेदना का विषय बन गया है।
डॉ. सुमन लता वोहरा विरमानी
‘सुमनमाला’ मेरी ज़िन्दगी की वास्तविकता से उभरे गीतों का गुलज़ार है, जिसकी परछाई मेरे गीतों में विद्यमान है। मैंने ज़िन्दगी के फूल शूल, धूप धूल, नमीं उष्मा को जो महसूस किया उन एहस
‘सुमनमाला’ मेरी ज़िन्दगी की वास्तविकता से उभरे गीतों का गुलज़ार है, जिसकी परछाई मेरे गीतों में विद्यमान है। मैंने ज़िन्दगी के फूल शूल, धूप धूल, नमीं उष्मा को जो महसूस किया उन एहसासों को तराश कर उसमें शब्द लय का सन्तुलन कर उसे मुकम्मल रुप देना ही मेरा उद्देश्य रहा। अपनी ज़िन्दगी के उन जीवन्त पलों को भाषा तथा शिल्प सौन्दर्य से सन्तुलित करने का यह मेरा मौलिक प्रयास है। अत: ‘सुमनमाला’ का गुलज़ार गीत बोल लय को स्वाभाविक शब्दों के माध्यम से व्यक्त अनुभवों की सत्यता को उजागर करता है जिस में अनुभूति की तन्मयता में ध्वनि गूंजने लगती है, सुर छेड़ती हुई कुछ ग़ज़लें, कुछ गीत, कुछ किस्से जिन में अक्षर अक्षर गाने लगते हैं, जिससे काव्य में नाद सौन्दर्य और गेयात्मकता आ गई है। इसलिए काव्य के सौन्दर्य को सुसज्जित करने हेतु मैंने अक्षरों को शब्दों में पिरो कर ‘सुमनमाला’ के गुलज़ार को महकाने का प्रयास किया है, जिस का अधिकाधिक विषय है - प्रेम शान्तिः स्थिरता! भावात्मक आत्मिक और मानसिक सौन्दर्य के स्वस्थ चित्रण में मेरी रुचि है। इसलिए कोमलता, गम्भीरता, मार्मिकता और एकरसता भी काव्य की आत्मा से निरन्तर प्रवाहित हो रही है। भाषा में शब्द, छन्द, लय का सरल एवं मधुर प्रवाह है। गीतों में गेयता का गुण भी विद्यमान है जो मेरे कोमल हृदय की अनुभूति की निधि बन कर मेरे वजूद का हिस्सा बन गई है।
डा. सुमन लता वोहरा विरमानी
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