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लेखक का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिला के सकरपुरा ग्राम में ०२ फरवरी १९८८ को को हुआ प्राथमिक शिक्षा माता-पिता से हीं मिला, पारिवारिक स्थिति सुदृढ़ न रहने के कारण विद्यार्जन भी अस्थिर हीं रहा, किसी प्रकार समाजशास्त्र में स्नातक संपनRead More...
लेखक का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिला के सकरपुरा ग्राम में ०२ फरवरी १९८८ को को हुआ
प्राथमिक शिक्षा माता-पिता से हीं मिला, पारिवारिक स्थिति सुदृढ़ न रहने के कारण विद्यार्जन भी अस्थिर हीं रहा, किसी प्रकार समाजशास्त्र में स्नातक संपन्न कर पिताजी द्वारा मार्ग-दर्शित, महर्षि वेद विज्ञान विश्व-विद्यापीठ प्रयागराज में दाखिला लिया, वहां वेद विभाग में भारत के विविध भागों एवं अमेरिका में ज्योतिष, वेद, ध्यान, साधना आदि वैदिक क्षेत्र में कार्यरत रहे |
बचपन से कला प्रेमी रहने के कारण गीत, चित्र, लेखन आदि में लेखक को प्रशंसा मिलती रही |
भक्ति, एकांत, प्रेम, वीरत्व, देशभक्ति, एकता, मूकपरिस्थिति आदि अनेक दर्शनों पर कवितायेँ और कहानियाँ लिखना होता रहा |
लेखक का मानना है कि परमात्मा के बनाये प्रत्येक परिस्थिति हमारे लिए एक बेहतर अवसर होता है, एवं हमे इन परिस्थितियों को सहज भाव से स्वीकार करते हुए जीवन को खुशहाल रखना चाहिए |
जीवन केवल शिकायतों का पिटारा हीं नहीं बल्कि अनेक सुन्दर अवसरों की गाथा भी है इसीलिए मुस्कुराते रहिये प्रसन्न रहिये यही शुभ कामना है |
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प्रिय पाठकों
प्रस्तुत पुस्तक “अपना बनके आता कोई” व्यक्ति के उन विविध परिस्थितिओं एवं भावनाओं को व्यक्त करता है जिन्हें अक्सर हम स्वयं को परोसते रहते हैं |
प्रेम की स्वीकृ
प्रिय पाठकों
प्रस्तुत पुस्तक “अपना बनके आता कोई” व्यक्ति के उन विविध परिस्थितिओं एवं भावनाओं को व्यक्त करता है जिन्हें अक्सर हम स्वयं को परोसते रहते हैं |
प्रेम की स्वीकृति, प्रेम का वितरण जीवन के आनंद को उजागर करता है |
जीवन में धन कमाना यह उतना आवश्यक नहीं जितना जीवन को समझना और जीना आवश्यक है और इसके लिए स्वयं को समझना औरों के प्रति उदारता का प्रसार अधिक आवश्यक है, पुस्तक में कविताओं के माध्यम से जीवन के विविध विचारों का दर्शन है |
इस छोटे से सुन्दर जीवन में छोटी-छोटी खुशियों को जी लेना यही पुस्तक के कविताओं का सार है, मुस्कुराते रहिये प्रसन्न रहिये यही शुभ कामना है |
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