Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalKiran Manoj, a renowned author known for her exceptional storytelling and unique perspective on societal issues, follows in her father's footsteps to make a meaningful contribution to society through her literary talent. She comes from a distinguished family background, with her father, Shri Govind Ji Mishra, being a pioneer in Postal Tuition and a prominent supporter of Vinoba Bhave's Bhoodan (Land Gift) movement. Additionally, her grandfather, known as 'Nishesh,' was a well-known poet. With an impressive portfolio of over 10+ published books, Kiran Manoj has emerged as a prominent figure in Read More...
Kiran Manoj, a renowned author known for her exceptional storytelling and unique perspective on societal issues, follows in her father's footsteps to make a meaningful contribution to society through her literary talent. She comes from a distinguished family background, with her father, Shri Govind Ji Mishra, being a pioneer in Postal Tuition and a prominent supporter of Vinoba Bhave's Bhoodan (Land Gift) movement. Additionally, her grandfather, known as 'Nishesh,' was a well-known poet.
With an impressive portfolio of over 10+ published books, Kiran Manoj has emerged as a prominent figure in contemporary Hindi literature. Her works resonate with readers of all ages, showcasing her mastery of the craft and deep understanding of human emotions. One of her notable contributions includes her story "Princess and the Golden Bird," through which she has created an enduring impact of her writing on young minds. Beyond the realm of writing, Kiran Manoj has also captivated audiences through her engaging local radio appearances and an interview on Doordarshan.
As an inspiring author, Kiran Manoj leaves an enduring mark on the literary landscape. Her latest book, a curated bundle of stories, promises to resonate with a wide audience, providing a refreshing and relatable reading experience.
Read Less...
एक मध्यम वर्गीय परिवार में बेटियों के लिये अधिकतर यही सोच होती, कि पढ़ाई पूरी कर जल्दी-से-जल्दी विवाह कर दो ।
मैंने भी समाज शास्त्र में M.A. कर लिया । अच्छे वर की तलाश जारी थी । उस बी
एक मध्यम वर्गीय परिवार में बेटियों के लिये अधिकतर यही सोच होती, कि पढ़ाई पूरी कर जल्दी-से-जल्दी विवाह कर दो ।
मैंने भी समाज शास्त्र में M.A. कर लिया । अच्छे वर की तलाश जारी थी । उस बीच यह तय हुआ जब तक सुयोग्य वर नहीं मिलता घर बैठने से अच्छा है लखनऊ विश्वविद्दालय से राजनीति शास्त्र में M.A. कर लो । M.A. प्रथम वर्ष में ही सुयोग्य वर की तलाश पूरी हुई । विवाह हो गया । बड़ा परिवार था । विश्वविद्दालय जाना छुट गया । परिवार में रह कर थोड़ा सा समय अपने लिये मिलता । उसका सबसे अच्छा उपयोग यही समझ में आया, क्यों न कुछ लिखा जाये ।
हम सभी के आस - पास कुछ-न-कुछ घटता रहता है ।
हम और आप इसे अनदेखा नहीं कर पाते । हाँ, उन सुनी-देखी घटनाओं को सिगरेट के धुएं की भांति उड़ा अवश्य देते हैं ।
कभी – कभी कोई घटना ह्रदय के किसी कोने को कचोट अवश्य जाती है । ऐसी ही किसी घटना या सोच को शब्दों का जामा पहनाना ही मेरा काम हो गया । इस प्रकार वह घटना या सोच फिर हमारी कहानी का रूप ले लेती ।
लेखिका ने ‘QISSE’’ नामक एक और पुस्तक लिखी है, जो हिंदी में लघु कहानियों का संग्रह है और पहले प्रकाशित हो चुका है ।
सामाजिक, पारवारिक घटनायें ही हमारे, आपके जीवन के विचारों को, मानसिकता को यहाँ तक कि हमारे संस्कारों को, हमारे ज़मीर को भी कभी – कभी झकझोर कर रख देती हैं । मेरा यही प्रयास रहता है । अभिव्यक्ति आडम्बर हीन हो और सरलता से कहानी पूर्ण हो जाये । आकार में छोटी हो या बड़ी, फर्क नहीं पड़ता । यह भी प्रयास रहता है कि कहानी में मेरी ओर से उपदेश और आदर्श ना हो । बिना किसी बनाव - श्रृंगार के पूरी सच्चाई और ईमानदारी से समाज में घटी घटनाओं को, अपने मन की उड़ान को, अपनी कल्पना, अपनी सोंच को सरल भाषा में कहानी का रूप देकर प्रस्तुत करूं ।
किरन मनोज
एक मध्यम वर्गीय परिवार में बेटियों के लिये अधिकतर यही सोच होती, कि पढ़ाई पूरी कर जल्दी-से-जल्दी विवाह कर दो ।
मैंने भी समाज शास्त्र में M.A. कर लिया । अच्छे वर की तलाश जारी थी । उस बी
एक मध्यम वर्गीय परिवार में बेटियों के लिये अधिकतर यही सोच होती, कि पढ़ाई पूरी कर जल्दी-से-जल्दी विवाह कर दो ।
मैंने भी समाज शास्त्र में M.A. कर लिया । अच्छे वर की तलाश जारी थी । उस बीच यह तय हुआ जब तक सुयोग्य वर नहीं मिलता घर बैठने से अच्छा है लखनऊ विश्वविद्दालय से राजनीति शास्त्र में M.A. कर लो । M.A. प्रथम वर्ष में ही सुयोग्य वर की तलाश पूरी हुई । विवाह हो गया । बड़ा परिवार था । विश्वविद्दालय जाना छुट गया । परिवार में रह कर थोड़ा सा समय अपने लिये मिलता । उसका सबसे अच्छा उपयोग यही समझ में आया, क्यों न कुछ लिखा जाये ।
हम सभी के आस - पास कुछ-न-कुछ घटता रहता है ।
हम और आप इसे अनदेखा नहीं कर पाते । हाँ, उन सुनी-देखी घटनाओं को सिगरेट के धुएं की भांति उड़ा अवश्य देते हैं ।
कभी – कभी कोई घटना ह्रदय के किसी कोने को कचोट अवश्य जाती है । ऐसी ही किसी घटना या सोच को शब्दों का जामा पहनाना ही मेरा काम हो गया । इस प्रकार वह घटना या सोच फिर हमारी कहानी का रूप ले लेती ।
लेखिका ने ‘QISSE’’ नामक एक और पुस्तक लिखी है, जो हिंदी में लघु कहानियों का संग्रह है और पहले प्रकाशित हो चुका है ।
सामाजिक, पारवारिक घटनायें ही हमारे, आपके जीवन के विचारों को, मानसिकता को यहाँ तक कि हमारे संस्कारों को, हमारे ज़मीर को भी कभी – कभी झकझोर कर रख देती हैं । मेरा यही प्रयास रहता है । अभिव्यक्ति आडम्बर हीन हो और सरलता से कहानी पूर्ण हो जाये । आकार में छोटी हो या बड़ी, फर्क नहीं पड़ता । यह भी प्रयास रहता है कि कहानी में मेरी ओर से उपदेश और आदर्श ना हो । बिना किसी बनाव - श्रृंगार के पूरी सच्चाई और ईमानदारी से समाज में घटी घटनाओं को, अपने मन की उड़ान को, अपनी कल्पना, अपनी सोंच को सरल भाषा में कहानी का रूप देकर प्रस्तुत करूं ।
किरन मनोज
एक मध्यम वर्गीय परिवार में बेटियों के लिये अधिकतर यही सोच होती, कि पढ़ाई पूरी कर जल्दी-से-जल्दी विवाह कर दो ।
मैंने भी समाज शास्त्र में M.A. कर लिया । अच्छे वर की तलाश जारी थी । उस बी
एक मध्यम वर्गीय परिवार में बेटियों के लिये अधिकतर यही सोच होती, कि पढ़ाई पूरी कर जल्दी-से-जल्दी विवाह कर दो ।
मैंने भी समाज शास्त्र में M.A. कर लिया । अच्छे वर की तलाश जारी थी । उस बीच यह तय हुआ जब तक सुयोग्य वर नहीं मिलता घर बैठने से अच्छा है लखनऊ विश्वविद्दालय से राजनीति शास्त्र में M.A. कर लो । M.A. प्रथम वर्ष में ही सुयोग्य वर की तलाश पूरी हुई । विवाह हो गया । बड़ा परिवार था । विश्वविद्दालय जाना छुट गया । परिवार में रह कर थोड़ा सा समय अपने लिये मिलता । उसका सबसे अच्छा उपयोग यही समझ में आया, क्यों न कुछ लिखा जाये ।
हम सभी के आस - पास कुछ-न-कुछ घटता रहता है ।
हम और आप इसे अनदेखा नहीं कर पाते । हाँ, उन सुनी-देखी घटनाओं को सिगरेट के धुएं की भांति उड़ा अवश्य देते हैं ।
कभी – कभी कोई घटना ह्रदय के किसी कोने को कचोट अवश्य जाती है । ऐसी ही किसी घटना या सोच को शब्दों का जामा पहनाना ही मेरा काम हो गया । इस प्रकार वह घटना या सोच फिर हमारी कहानी का रूप ले लेती ।
सामाजिक, पारवारिक घटनायें ही हमारे, आपके जीवन के विचारों को, मानसिकता को यहाँ तक कि हमारे संस्कारों को, हमारे ज़मीर को भी कभी – कभी झकझोर कर रख देती हैं । मेरा यही प्रयास रहता है । अभिव्यक्ति आडम्बर हीन हो और सरलता से कहानी पूर्ण हो जाये । आकार में छोटी हो या बड़ी, फर्क नहीं पड़ता । यह भी प्रयास रहता है कि कहानी में मेरी ओर से उपदेश और आदर्श ना हो । बिना किसी बनाव - श्रृंगार के पूरी सच्चाई और ईमानदारी से समाज में घटी घटनाओं को, अपने मन की उड़ान को, अपनी कल्पना, अपनी सोंच को सरल भाषा में कहानी का रूप देकर प्रस्तुत करूं ।
किरन मनोज
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.