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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal’शिक्षा और बाज़ार के अपवित्र गठबंधन का उद्घाटन करती बेजोड़ रचना है - अपने पैरों पर!’- अमर उजाला (राष्ट्रीय समाचार पत्र)
शिक्षा और बाज़ार के क्रूर नेक्सस से लड़ते एक मध्यमवर्गीय परिवार की त्रासदीपूर्ण कहानी है - अपने पैरों पर! -Live Vns (लोकप्रिय समाचार पोर्टल)
आसान नहीं है अपने पैरों पर खड़ा होना - इस सार की शानदार प्रस्तुति है, अपने पैरों पर ! - समय पत्रिका (इंटरनेशनल इ-मैगज़ीन)
“शिक्षा का मूल्य अब नैतिकता से नहीं बल्कि बाज़ार द्वारा तय हो रहा है |' इंजिनीयरिंग कर लोगे तो आपकी मार्केट वैल्यू इतनी होगी , एमबीए करोगे तो इतनी और दोनों करोगे तो इतनी !‘इस तरह से एडुकेशन अब कमोडिटी की तरह बेची और ख़रीदी जा रही है | इसी खरीद -फ़रोख्त का शिकार दक्ष (केंद्रीय चरित्र ) पूरे मध्यमवर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर एक अंतहीन संघर्ष यात्रा पर है। आंशिक सफलता के बाद मिले हर ठहराव पर एक ही सवाल वहअपने आप से पूछता है कि क्या वह अपने पैरों पर अब तक खड़ा हो पाया है ?“
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भवतोष पाण्डेय
IIT -BHU से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद हिन्दी साहित्य, समाजशास्त्र,लोक प्रशासनऔर पत्रकारिता में डिग्री और डिप्लोमा का अर्जन कर चुके लेखक भवतोष पाण्डेय की कोशिश 'जुलूस की भीड़ ' से निकलकर 'अपने पैरों पर! ' खड़ा होने की है।इस प्रक्रिया में उनके इंजीनियर के शारीरिक ढांचें में सर्जक की आत्मा प्रवेश कर रही है। जुलूस की भीड़ ( कहानी संग्रह ),अपने पैरों पर ! (उपन्यास , Kindle e -book ,2021),हम न मरै , मरिहैं संसारा ( नाटक ) उनकी अब तक की प्रकाशित रचनायें हैं।
सम्पर्क - bhav.itbhu@gmail.com
वेबसाइट - www.bhavtoshpandey.com
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