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Astrology / ज्योतिष The Confluence of Science and Spirituality / विज्ञान और आध्यात्म का संगम

Author Name: Anurag Agarwal | Format: Paperback | Genre : BODY, MIND & SPIRIT | Other Details

क्या आपकी किस्मत ग्रहों और नक्षत्रों से तय होती है, या यह केवल मन का एक भ्रम है? क्या भविष्य को देखा और बदला जा सकता है, या यह केवल भाग्य के खेल में उलझा हुआ है?

"ज्योतिष: विज्ञान और आध्यात्म का संगम" एक ऐसी किताब है, जो इन गूढ़ और विवादित सवालों को सीधे चुनौती देती है। यह न केवल ज्योतिष के प्राचीन सिद्धांतों की पड़ताल करती है, बल्कि यह भी जांचती है कि क्या वे वैज्ञानिक कसौटी पर खरे उतरते हैं। क्या कुंडली वास्तव में समय की मशीन है, जो भविष्य के संकेत देती है, या यह केवल सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का नतीजा है?

लेखक अनुराग अग्रवाल ने इस पुस्तक में उन रहस्यमयी शक्तियों को उजागर किया है, जिन्हें विज्ञान और आध्यात्म के बीच फंसा दिया गया है—भूत-प्रेत, सम्मोहन, टेलीपैथी, और कर्मों का खेल।

यह किताब आपके विश्वासों को झकझोरने, आपके सवालों को और गहरा करने और आपको सोचने पर मजबूर कर देने के लिए लिखी गई है। क्या आप सच को जानने के लिए तैयार हैं, या आप भी सिर्फ मान्यताओं के अंधेरे में जीना चाहते हैं?

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अनुराग अग्रवाल

अनुराग अग्रवाल एक लेखक, शोधकर्ता और विचारक हैं, जो उन गूढ़ और विवादित विषयों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते हैं, जिन्हें समाज या तो अंधविश्वास मानकर खारिज कर देता है या जिन्हें विज्ञान की सीमाओं से परे समझा जाता है। उन्होंने ज्योतिष, टेलीपैथी, सम्मोहन, भूत-प्रेत, सपनों की भविष्यवाणी, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा जैसी रहस्यमयी शक्तियों पर गहन शोध किया है।

उनकी किताब "ज्योतिष: विज्ञान और आध्यात्म का संगम" ज्योतिष के मूल सिद्धांतों को खंगालते हुए यह चुनौती पेश करती है कि क्या यह वास्तव में किसी व्यक्ति के भाग्य को निर्धारित कर सकता है या यह सिर्फ मानसिक और सांस्कृतिक प्रभावों का नतीजा है। क्या ग्रह और नक्षत्र हमारे जीवन को नियंत्रित करते हैं, या हम अपने भाग्य के निर्माता खुद हैं?

अनुराग अग्रवाल की लेखनी पाठकों को पारंपरिक मान्यताओं पर फिर से सोचने के लिए मजबूर करती है। उनके विचार कई बार विवादों और आलोचनाओं में घिरे रहे हैं, लेकिन वे मानते हैं कि "सत्य हमेशा असहज होता है और सवाल उठाने वालों को ही नई राहें मिलती हैं।" उनकी किताब न केवल एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, बल्कि धर्म, विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच की सीमाओं को धुंधला कर देती है।

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