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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"चाँद रातें और बोझिल दिन" पाँच सालों के अनुभवों का संग्रह है, जो महामारी, संघर्षों, पारिवारिक त्रासदियों और नए जीवन के बीच बीती धड़कनों को समेटता है। यह मुक्तछंद में गाँव से शहर की यात्रा कराता है और ग़ज़लों में टूटे ख़्वाबों का दर्द बयान करता है। यह आत्मकथ्य, सामाजिक रिपोर्ताज और एक प्रेम पत्र है, जो कहता है: "अभी बहुत कुछ शेष है—देखना, कहना, जीना।" पृष्ठ पलटें और अपनी रातें यहाँ पाएँ।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.मुसाफ़िर
मुसाफ़िर का बचपन देश भर की सैन्य छावनियों में बीता, जिसने उनमें जिज्ञासा और अनुकूलन क्षमता विकसित की। आर्मी स्कूल व SASTRA विश्वविद्यालय से शिक्षित होकर वे अब एक बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी में सीनियर मैनेजर हैं। यात्रा उनका जुनून है; भारत सहित अनेक देशों का भ्रमण किया, जिससे उनकी फोटोग्राफी और कविताओं को प्रेरणा मिली। खगोल विज्ञान, सिनेमा, दर्शन, साहित्य उनके बौद्धिक साथी हैं। समर्पित पर्यावरणविद् के तौर पर उन्होंने भारत में ५,००० से ज़्यादा पेड़ लगाए और ५० देशों के अभियानों में सक्रिय रहे, साथ ही अमेज़न व अफ्रीका में संरक्षण हेतु भूमि खरीदकर हरित धरोहर बचाने का व्यक्तिगत संकल्प लिया।
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