“दस्तकें” उभरी हुई यादों को इन पन्नों में समेटना चाहता है। इस किताब में मात्र उन बातों को लिखा गया है जो आपके जहन में उभरती हुई नज़र आती है।
मोहब्बत की सच्ची डोर को एक सिरे से खोले हुए यह किताब उन तमाम पाठकों को खुद के एहसास में बांधना चाहती है।
जितने एहसासों को इस किताब में लिख दिए गए है, अगर हम उन सारी एहसासों को एक एक करके महसूस करने लगे तो हमें यादों की एक कारवाँ खुद के भीतर उत्पन्न होती हुई नज़र आएगी।
और उस कारवाँ की डोर में बँधकर हम और आप एक सच्ची मोहब्बत के बंधन में बंध जाएंगे।
“दस्तक दिल पे पड़ी है,
तो फिर मोहब्बत जताओगे या मजबूरियां बताओगे।”