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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजगद्गुरु शंकराचार्य पर सृजित उपन्यासों की श्रृंखला में ‘द्वारका मठ’ जनार्दनराय नागर द्वारा सृजित अत्यधिक चर्चित उपन्यास है।
इस उपन्यास में रामेश्वर की ओर प्रयाण करते समय महाबलेश्वर में जगद्गुरु शंकर को विभिन्न सम्प्रदायों के अधिकृत विद्वानों से शास्त्रार्थ करना पड़ा। शास्त्रार्थ के समय भरी सभा में एक स्त्री द्वारा बालक के शव को जीवित करने की प्रार्थना की गई। इस पर पण्डितों ने यह संकल्प व्यक्त किया कि शंकराचार्य को ‘ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या’ की स्वयं की घोषणा को सार्थक सिद्ध करना चाहिए। नीलकण्ठ के साथ हुए शास्त्रार्थ में शंकराचार्य का उद्घोष था ‘ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या’ और नीलकण्ठ की घोषणा थी ‘जीव सत्यं ब्रह्म मिथ्या’। शास्त्रार्थ में जगद्गुरु के सच्चिदानन्द ब्रह्म और शिवोऽहम के मन्त्र की विजय हुई। द्वारका पहुंच कर उन्होंने गुर्जरेश्वर की साक्षी में ‘द्वारका मठ’ की स्थापना की।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.पं. जनार्दन राय नागर
पं. जनार्दन राय नागर का जन्म उदयपुर में 16 जून, 1911 ई. को हुआ। बहुआयामी प्रतिभा के धनी पं. नागर ने शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति व समाज सेवा आदि क्षेत्रों में अपनी अमिट कीर्ति स्थापित की। गाँधीवादी संस्कारों से दीक्षित व कथा सम्राट प्रेमचन्द्र के आशीष पात्र रहे जनार्दन राय नागर ने मेवाड़ में शिक्षा के प्रसार के उद्देश्य से 1937 में हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना रात्रिकालीन संस्थान के रूप में की। पं. नागर की सतत् तपस्या के परिणाम स्वरूप इस संस्था की उत्तरोत्तर प्रगति हुई वर्तमान में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर रूपी वटवृक्ष के रूप में स्थापित है।
शिक्षा की लोक साधना में लीन जनार्दनराय नागर की ऐकान्तिक साधना साहित्य-सृजन के रूप में निरन्तर गतिमान रही। उन्होंने उपन्यास, कहानी, गद्य-गीत, जीवन चरित्र व काव्य विधाओं में लेखन किया। उनके द्वारा रचित ‘जगद्गुरू शंकराचार्य’ जो कि 5,500 पृष्ठों में समाहित दस उपन्यासों की श्रृंखला है, यह हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। उनके ‘राम-राज्य’ के पांच उपन्यास प्रकाशित हो चुके है। चार गद्य-गीत संग्रह, नागर की कहानियां शीर्षक से दो कथा संग्रह प्रकाशित हुए हैं। उनके नाटक ‘आचार्य चाणक्य’, पतित का स्वर्ग’, ‘ऊदा हत्यारा’, ‘जीवन का सत्य’, अत्यन्त चर्चित रहे तथा मंचित भी हुए।
पत्रकारिता के क्षेत्र में पं. नागर ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं की स्थापना, संपादन व संचालन में योगक्षेम निर्वहन किया। ‘मुधमती’, ‘स्वर मंगला’, ‘नखलिस्तान’, ‘बालहित’, ‘कल्कि’, समाज शिक्षण’, ‘शोध पत्रिका’, ‘वसुन्धरा’, ‘जन-मंगल’, ‘जन सन्देश’ व ‘अरावली’ आदि पत्रिकाएं उनकी कीर्ति पताकाएं हैं।
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