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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palज्योतिष और पौराणिक ग्रंथों में युग का मान अलग-अलग है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चार युग होते हैं। सत, त्रेता , द्वापर और कलि। कहते हैं कि कलयुग में पाप अपने चरम पर होगा। वर्तमान में
कलिकाल अर्थात कलयुग चल रहा है। ग्रंथों में इस युग में क्या-क्या होगा या घटेगा यह स्पष्ट लिखा गया है। यह भी है कि इस युग में जब कहीं भी प्रलय होगा तो सि र्फ हरि कीर्तन ही उस बचाएगा। आओ जानते हैं कि वर्तमान में सावधान क्यों रहें?
1. सतयुग -सतयुग में प्रतिकात्मक तौर पर धर्म के चार पैर थे। सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट अर्थात् लगभग 21 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्र 0 विश्वा अर्थात 0% होती है। पुण्य की मात्रा 20 विश्वा अर्थात् 100% होती है। राजा हरिशचंद्र हुए थे। हरिश्चं द ने सत्य के लिए खुद के परिवार और अंत में खुद का बलिदान भी दे दिया था।
डॉ. दीपक सिंघला
दीपक जी 20 सालों से एस्ट्रोलोजी में है।
जीवन का मूल आधार गीता है। गीता पढने के बाद उसके विचारों को जीवन में उतार कर एक संतुलित आधार में जीवन जीना मेरा मकसद है। ईश्वर प्राकृतिक रूप से हमारे बीच में विद्यमान है। 84 लाख योनियों के बाद इंसान का शरीर मि लता है। प्राकृतिक रूप से ग्रहों की तरंगो के द्वारा इंसान के पास अच्छा और बुरा विचार पहुँचता है, इसीलिए इंसान को बुद्धि और विवेक दिया गया है उस विचार का विश्लेषण करने के लिए। माँ जब गर्भवति होती है तो बच्चे को पैदा होने में 9 महीने का समय लग जाता है और ग्रह भी 9 ही है। प्रत्येक महीने एक ग्रह अपना सॉफ्ट वेयर लोड करता है, जिससे की जीवन में दशा और महादशाओं से अच्छा और बुरा समय व्यक्ति पर आता है।
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