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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकिसी भी देवता का मंदिर निर्माण कार्य बहुत ही महान कार्य है और अगर वो देवता शनि देव हो तो और भी कठिन एवं महान कार्य हो जाता है। जैसा की प्रदत्त है की शनि देव न्याय के देवता होने के साथ साथ ही धर्म रक्षक भी है और सदैव अपने भक्तों के पालनहार है, उनके हितकारी है। शनि देव प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जानकारी का काफी आभाव है और बहुत ही सूक्ष्म पुस्तक या जानकारी लोगो के बीच में है। लेकिन इस पुस्तक को मैंने अपने वर्षों के शनि से संबधित जानकारी को खोज को इस पुस्तक में समाहित किया है। मैंने काफी जगह शनि मंदिरों में देखा है की शनि देव की प्रतिमा की दिशा ठीक नहीं है या फिर प्रतिष्ठा शनि देव के विधान के अनुसार नहीं की गयी है जिसके कारण से शनि देव का आशीर्वाद पूर्णरूप से प्राप्त नहीं होता है। शनि देव के मंदिर निर्माण आज से ही नहीं वर्षों से ही प्रथा है। वैसे तो शनि देव कालरूप है लेकिन वह अपने भक्तों को सदैव सत्य मार्ग पर चलने का आदेश करते है। मुझे पूर्ण रूप से आशा है की सभी इस पुस्तक का लाभ लेंगे विधि विधान से शनि देव की प्राण प्रतिष्ठा कर पायंगे। शनि मंदिर निर्माण एवं उसके बाद प्रतिष्ठा करने हेतु जो नियम है वह समझने जरुरी है क्यूंकि इतिहास भी यह बात जानता है की शनि देव क्रोधी एवं दंड के भी देवता है। इसकी दृस्टि मात्र ही सब लोको में भय व्याप्त कर देती है। इस पुस्तक में मैंने शनि देव के अलग अलग वाहन एवं उनकी जानकारी भी दी है जो अन्य किसी और पुस्तक में नहीं है। वैसे तो मैंने पूरा प्रयास किया है की किसी प्रकार की त्रुटि न हो लेकिन अगर फिर भी ऐसा हुआ तो मैं सबसे क्षमा चाहूंगा।
गुरु गौरव आर्य
गुरु गौरव आर्य एक भारतीय ज्योतिषी और शोधकर्ता हैं, वे शनि उपासक एवं शनि कथावाचक हैं। उन्होंने भगवान शनि देव पर कई पुस्तकें लिखीं। वह 2007 से ज्योतिष में अभ्यास कर रहे हैं। गुरु गौरव आर्य भूतपूर्व मैकेनिकल इंजीनियर थे लेकिन अध्यात्म में रूचि होने के कारण आध्यात्मिक जीवन जीने का निश्चय लिया।अब आचार्य गौरव आर्य ज्योतिष में एक प्रमुख नाम है। उन्होंने हिंदी भाषा में "श्री शनि संहिता", "यंत्र तत्वम" जैसी कई पुस्तक लिखीं। आज भी पुरे विश्वभर में शनि देव से सम्बंधित पुस्तकों में अगर किसी का नाम आता है तो वह गुरु गौरव आर्य ही है। विगत काफी वर्षों से वह शनि देव के ऊपर अपने अनुभव पुस्तकों के माध्मय से हम सभी तक पंहुचा रहे है।
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