शिवपुराण में चौबीस हजार श्लोक है, और सात संहिताएँ हैं। किन्तु इस पुस्तक में मैंने उन्हें ग्यारह खण्डों में बताया है। मैंने इस बात को ध्यान मैं रखते हुए यह बदलाव किया है, की जो मनुष्य इसे पढ़े, वह इस पुराण में लिखा ज्ञान समझ सके। इसीलिए इसे मैंने बहुत ही सरल भाषा में और बहुत ही सरल तरीके से लिखा है। इस पुराण को पढ़कर आप परब्रम्हा परमात्मा ,जो शिव है, उन्हें जान पायेंगे, उनका आचरण, उनका व्यवहार, उनकी सोच, उनकी समझ, उनके कार्य, उनके उपदेश, उनके ज्ञान के बारें जान पायेंगे।
शिव पुराण को लिखने का मुख्य उद्देश्य यह था की धरती पर सभी मनुष्य अपने जीवन को समझे, अपने पैदा होने का कारण समझे और उन्हें इस धरती पर रहकर क्या करना है और क्या नहीं, वह यह भी समझे। कलयुग मैं मनुष्य की आयु कम है, इसीलिए मनुष्य को सही और गलत का सही ज्ञान देने के लिए ही शिव पुराण और अन्य पुराणों को लिखा गया।
भगवान् शिव को समझने के लिए, आपको अज्ञानी होकर, शिव पुराण को पढ़ना होगा, क्यूंकि ज्ञान अगर अधिक हो, तो कभी-कभी वह अहंकार का रूप ले लेता है, जैसा रावण के साथ हुआ। फिर चाहे आप कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन अहंकार आपको और अधिक ज्ञान पाने नहीं देता। इसीलिए मन में भक्तिभाव जगाये और अज्ञानी होकर इस महान ग्रन्थ को समझने की कोशिश करें।
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