यह मार्मिक कहानी सेरोगेसी से पैदा हुए उस मासूम बच्चे के अंतर्मन की कहानी है जो इस दर्द को वर्षों तक सहन करता है. इस दौरान वह अपनी ना तो जन्मदात्री माँ से मिल ही पाता है और ना ही उसके प्यार को महसूस कर पाता है. समाज में इस सेरोगेट माँ के रूप में आए इस परिवर्तन को शायद बदल देना चाहिए क्योंकि इस तरह से पैदा हुए बच्चे अंत तक इस पीड़ा को भुगतते है. दिल के किसी कोने में अपनी जन्मदात्री माँ के विषय में जानने की उत्सुकता बनी रहती है.
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