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Syah Dhawal / स्याह धवल श्वेत-श्याम में बसे तथ्य की प्रकाश-रेखा

Author Name: Dr. Arti 'Lokesh' | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

‘कथ्य अकथ्य’ तथा ‘अश्रुत श्रव्य’ के बाद ‘स्याह धवल’ डॉ. आरती ‘लोकेश’ का तीसरा गद्य-विविधा संग्रह है। इसमें कथेतर गद्य विधाओं की श्वेत श्याम में बसे तथ्यों के बीच 31 प्रकाश रेखाओं से युक्त रचनाएँ हैं। आलेख, शोध-पत्र, व्याख्यान, सम्भाषण, समीक्षाएँ और टिप्पणियाँ इसमें एकत्र हैं। रचनाओं की विविधता के अनुसार यह पाँच मुख्य खंडों में विभाजित है। पहला खंड ‘शोध संचय’ शोध प्रवृत्ति वाले आलेखों का संग्रह है। दूसरे खंड में ‘यू.ए.ई. हरूफ़’ संयुक्त अरब अमीरात यानी यू.ए.ई. पर लिखे आलेख-वृत्तांत हैं। तीसरा खंड ‘चिट्ठी-पत्री’ पत्र विधा का लेखा-जोखा है। चौथा खंड ‘पुस्तकालय से’ में अनेक पुस्तकों की समीक्षाएँ, भूमिकाएँ आदि हैं तो पाँचवे खंड ‘विमर्श रोशनाई’ में व्याख्यान तथा विषय विशेष पर भाषणादि हैं। 

‘स्याह धवल में डॉ० ‘लोकेश’ के सृजन के आलोक में उनकी संपादन-यात्रा का विवेचन-विश्लेषण, दोहन-मंथन एवं मूल्यांकन-निष्कर्षण और संग्रहण अत्यंत सूझबूझ के साथ हुआ है। जहाँ वे शोध के स्थापित मतों की पुनर्व्याख्या करती हैं, वहीं नवीन तत्त्वों, प्रदयों, विषयों आदि की खोज का साहस भी जुटाने का प्रयास रहा है।

- डॉ. अशोक कुमार ‘मंगलेश’ 

गद्य साहित्य में विविध आयामों के इंद्रधनुष ‘स्याह धवल’ में पुस्तक पढ़ने का आनन्द इसमें है कि जिस विषय में हमारी रुचि हो वह सब कुछ पढ़ने मिल जाए। आनंद इसमें भी है कि जिसमें हमारी रुचि न हो पर पढ़ते-पढ़ते रुचि पैदा हो जाए।

- श्री हरिहर झा (ऑस्ट्रेलिया)

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डॉ. आरती 'लोकेश'

डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर्स में कॉलेज में द्वितीय स्थान तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि ली। तीन दशकों से शिक्षाविद, वर्तमान में दुबई में कार्यरत रहते हुए साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं। 

पच्चीस वर्षों से दुबई में बसी प्रवासी लेखिका डॉ. आरती ‘लोकेश’ की 24 पुस्तकें प्रकाशित हैं। चार  उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’, ‘निर्जल सरसिज’,  'ऋतम्भरा के सौ द्वीप'; चार काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’, ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’,  'षड्गंधा'; चार कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’, ‘कुहासे के तुहिन’, ‘दूर्वादल’ व ‘फ़िबोनाची वितान; पाँच कथेतर गद्य-संग्रह ‘कथ्य अकथ्य’, ‘अश्रुत श्रव्य’, ‘झरोखे’; शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’; सात संपादित-संकलित: ‘सोच इमाराती चश्मे से’, ‘होनहार बिरवान’, ‘डॉ. अशोक कुमार मंगलेश : काव्य एवं साहित्य चिंतन’, ‘अनन्य कृति यू.ए.ई.’, ‘यू.ए.ई. की चयनित रचनाएँ – स्वर्ण सचान काव्यजग’, ‘अनन्य संचय यू.ए.ई.’ तथा ‘वागीश वैश्विक लघुकथाएँ’।  

उनकी रचनाएँ 100 से अधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं तथा 50 से अधिक साझा संग्रहों में प्रकाशित हैं। इनके साहित्य पर पंजाब, उड़ीसा व हरियाणा के विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है व यूक्रेन में कहानियों पर शोध हो चुका है। 'अनन्य यू.ए.ई.' पत्रिका की मुख्य संपादक होने के साथ-साथ वे ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। टैगोर विश्वविद्यालय तथा ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ से सम्बद्ध हैं। 

उन्हें मॉरीशस व भारत सरकार द्वारा 'आप्रवासी हिंदी साहित्य सृजन सम्मान', ‘प्रवासी महाकवि प्रो. हरिशंकर ‘आदेश’ स्मृति साहित्य सम्मान’, ‘रंग राची सम्मान’, ‘शिक्षा रत्न’ सम्मान, ‘हिंदी शिक्षक सम्मान’ 'शब्द शिल्पी भूषण  सम्मान', 'प्रज्ञा सम्मान', ‘निर्मला स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न सम्माrन’, ‘प्रवासी भारतीय समरस श्री साहित्य सम्मान’; वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स लंडन, भारतीय कौंसलावास दुबई, अंतर्राष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच, वैश्विक हिंदी संस्थान ह्यूस्टन, यू.एस.ए., साहित्य अर्पण मंच दुबई द्वारा प्रशस्ति-पत्र मिला है। ‘शुभ संकल्प एवं हुनर फ़ोक्

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