समय द्वार उन सभी से बोलता है ठीक है शायद मेरा निर्माण होने का सौभाग्य आज मुझे प्राप्त होगा तथा भगवान श्री कृष्ण की पावन नगरी में प्रवेश कर पाएंगे इतना कहकर समय द्वार के पट खुल जाते हैं और उसमें से एक बहुत ही सुंदर ऊर्जावान तेजस्वी एक 16 साल का युवा निकलता है और वह कहता है मैं समय द्वार हूं आप मेरे साथ इस द्वारका नगरी में चलिए सभी उस युवा को देखकर मोहित हो जाते हैं तथा डॉ स्मिता उसको ऐसे निहारती है जैसे कि वह सिर्फ उसके लिए ही आया हो,
तभी समय द्वार बोलता है आप सभी बिलंम ना करें अन्यथा यह द्वारका नगरी में प्रवेश करना दुर्लभ हो सकता है सभी यह बात सुनकर हां मैं अपनी गर्दन हिलाते हैं तथा एक दूसरे का हाथ पकड़ कर समुद्र में प्रवेश करते हैं तभी द्वारका नगरी की रक्षा करता हुआ सुदर्शन चक्र प्रकट हो जाता है और वह रौद्र रूप दिखाता है यह देख कर सभी डर जाते हैं फिर सभी भगवान श्री कृष्ण की स्तुति का गायन करते हैं जिससे सुदर्शन चक्र का रौद्र रूप शांत हो जाता है तथा सभी सुदर्शन चक्र से विनती करते हैं कि हमें आपकी सहायता की आवश्यकता है तब सुदर्शन चक्र कहता है मुझे सिर्फ मेरे प्रभु ने इस द्वारका नगरी की रक्षा का दायित्व सौंपा है इसलिए उनकी आज्ञा के बिना मैं कहीं भी नहीं जा सकता इतना कहकर सुदर्शन चक्र अदृश्य हो जाता है यह देखकर सभी निराश हो जाते हैं तथा द्वारका नगरी के प्रवेश द्वार से भगवान श्री कृष्ण की पवित्र द्वारका नगरी में प्रवेश करते हैं और उस स्थान पर जाते हैं जहां पर भगवान श्री कृष्ण ध्यान मुद्रा में बैठे रहते थे, फिर उस स्थान को सभी नमन करते हैं और भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करते हैं हे
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