जनतंत्र , प्रजातंत्र , न्यायपालिका आदि से व्यक्ति को न्याय की उम्मीद होती है . ये शब्द आम जनता को स्वप्निल जगत में ले जाने का दावा करते हैं , परन्तु यथार्थ इसके विपरीत हैं . बिल्कुल मृग मरीचिका की भांति . इस पुस्तक में मैंने कविता के माध्यम से इन्हीं छद्म यथार्थ को परिभाषित करने की कोशिश की है .
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A DISHONEST LAWYER / तू वकील दुनिया में नाम कर जायेगा
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अजय अमिताभ सुमन
दिल्ली हाई कोर्ट में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से बौद्धिक संपदा विषयक क्षेत्र में वकालत जारी। अनगिनत कानूनी संबंधी लेख कानूनी पत्रिकाओं में प्रकाशित। वकालत करने के अलावा साहित्य में रूचि रही है.अनगिनत पत्र , पत्रिकाओं में प्रकाशन।हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में समान अधिकार। प्रकाशन: रचनाकार , हिंदी लेखक , स्टोरी मिरर, मातृ भारती , प्रतिलिपि, नव भारत टाइम्स, दैनिक जागरण ,यूथ की आवाज , स्पीकिंग ट्री , आज, हिंदुस्तान, नूतन पथ, अमर उजाला इत्यादि पत्रिका और अख़बारों में रचनाओं का प्रकाशन।