अहिंसा परमो धर्मः|
इस तत्व को अगर हम मान भी लेते हैं तो प्रश्न यह रह जाता है की, अहिंसा के इस तत्व को हम अपने जीवन में कैसे उतारें| क्या इस तत्व को पूर्णतः समझते हुए जीवन में उतार पाना संभावपर हो सकेगा? क्या हम अपने धर्मार्थ जीवन को संवारने हेतु अहिंसा का सहारा ले सकेंगे? क्या तमाम अड़चनों से, सभी पीड़ाओं से खुद को भली भांति अलग रखते हुए हम जीवन दर्शन के शाश्वत तत्व के रहस्य का उजागर कर सकेंगे? क्या हमें व्याहारिक जीवन में अहिंसा का तत्व सहायता कर सकेगा? और भी ऐसे कई प्रश्न हैं जिसे संदर्भित करने हेतु अहिंसा शीर्षक इस पुस्तिका का प्रारूप निर्धारित किया गया है|
इस शोधात्मक कार्य के अंतर्गत कुछ ऐसे पक्षों को संदर्भित किया जा रहा है जो हमारे शाश्वत तत्वों को व्यावहारिक जेवण के आलोक में समझने हेतु मदद रूप हो सकेगा|
वैसे तो अहिंसा विषय पर हजारों पन्नों वाले व्याख्यान को उपस्थापित किया जा सकता है| पर ज्यादा कारगर कुछ तत्वों को समझने हेतु हम अपनी चाचा को कुछ ख़ास व्यावहारिक पक्षों तक ही सीमित रखना ज्यादा उचित समझेंगे|
श्री चंदन सुकुमार सेनगुप्ता
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