मेरे प्रिय ,
शाश्वत नमन ;
ज्ञान व प्रेम की साधना अखंड है |
प्रेम एकमात्र मुक्ति है |ज्ञान व प्रेम के समन्वय से ,
संगीत पैदा होता है |जगत के प्रति मैत्री ,करुणा का
भाव स्वम को मुक्त करता है |
सत्य की खोज को टूटे हुए शब्दों
मे पिरोया जाये ,तब जाकर “अपना सा कोई “
काव्य की रचना होती है |
“अपना सा कोई “ काव्य का
अंदाज सूफियाना है | कहने का अंदाज सूफियाना
हो तो ,टूटे हुए शब्दों मे भी जान आ जाती है |
मेरे ज्ञान को अस्वीकार कर दे | मेरे प्रेम को
अवश्य स्वीकार करें |
आपका
होमन देव सोम
नया बस स्टेंड नगरी जि० धमतरी (छ०ग)