din yad an
जब मैंने उससे पूछा कि --- '' यह मोटरसाइकिल किसकी है ? क्या तूने खरीदी है ? '' तो उसने कहा --- ''नहीं , यह मेरे एक मित्र की गाड़ी है और उसने बरसात के चलते मेरे यहाँ रख छोड़ी है । '' मैंने यह बात मान भी लिया था पर मेरे जीजाजी द्वारा मुझे पता चला कि उसने उनसे मोटरसाइकिल खरीदने के लिए पैसे उधार मांगे थे तो मेरे मन में बवंडर -सा उठा कि --- '' काश , वह झूठ न बोला होता और उसने झूठ क्यों बोला ? '' मुझे चलचित्र की भांति पुराने दिन याद आने लगे और मैं अपने आप को ठगा हुआ महसूस करने लगा ।
----- इसी पुस्तक से
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