यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों की स्मृतियां ,जिसमें भारतीय स्टेट बैंक के साथ लगभग 39 वर्ष का सेवाकाल ,भारत के विभिन्न क्षेत्रों की यात्राएं,पारिवारिक रिश्ते और आत्मीयता के साथ मेरी स्वर्गीय पत्नी श्रीमती सुषमा जैन के साथ बीते हुए क्षणों का विवरण दर्शाते हुए एक उच्च कोटि की रचना बन गई है I पढ़ने योग्य है I कृपया पढ़ने के पश्चात अपनी प्रतिक्रिया / सुझाव / शिकायत अवश्य भेजें जिससे भविष्य के अंको में उन का समावेश किया जा सके I
इसी पुस्तक से :
“------गांव में हमारे घर में डकैती पड़ी और डाकू घर का सभी सामान ले गए I ----------सुरक्षा व्यवस्था में एक छोटी सी चूक के कारण यह वारदात हुई I”
“----- शुरू से ही पैसे की अहमियत दोस्ती और पारिवारिक रिश्तो से उस समय भी अहम थी और आज तो और भी अधिक अहम गई है----------I”
“--------आचार्य श्री के वचन सत्य होने थे और हुए I ऐसे आचार्य श्री के चरणों में कोटि कोटि वंदन--------I”
“---------मैं मुसलमान हूं और मांस नहीं खाता हूं I बकरीद के दिन मैं घर में नहीं जाता और मस्जिद में रहता हूं ----------I”
“-----------मुगल साम्राज्य की कट्टरता और बर्बरता का उदाहरण है --------------I”
“जीना जिंदगी को हर घड़ी भरपूर तुम
तुम्हारे साथ जीती जाऊँगी मैं भी !”
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