शिव शंकर झा पेशे से इंजीनियर हैं, पर आत्मा से एक लेखक । कला, साहित्य और संगीत के प्रति उनका गहरा अनुराग उनके शब्दों में सहजता से झलकता है । उनकी पहली कृति ‘हमींअस्तो’ कविता और गद्य का संग्रह थी । अब ‘ब्रह्म-पत्र’ उनके लेखन का पहला हिंदी उपन्यास है — जहाँ प्रेम, प्रतीक्षा और नियति के संगम पर जीवन की गूँज सुनाई देती है । इस रचना के माध्यम से वे अपने पाठकों का स्नेह और आशीर्वाद विनम्रतापूर्वक चाहते हैं ।
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