"तुझे फिर वही सपना आया ना ?" श्वेता आंखे चमका कर खुशी से बोली ।
"कौन सा सपना...? कोई सपना नही आया...! " कहकर खुशी उससे आंखे चुराती हुई आगे चली गई ।
"अरे , वही जिसमे तेरा राजकुमार आता है जो तुझे बारिश मे ले जाता है और तु फाइनली बारिश की बुंदो को छु पाती है...." कहकर श्वेता फिर शरारत से मुस्कुरा दी ।
खुशी , दिखने मे साधारण सी लड़की है , पर असाधारण है , कुछ तो अजीब था उसके साथ , की जब भी वो बारीश की बूंदो को छुने की कोशिश करती बारीश ही थम जाया करती , बरखा से इश्क करने वाली खुशी को कभी उसमे भीगने का ही मौका नही मिला और इसी के चलते कई बार लोग उसे बदनसीब कह देते , और जो पढ़े लिखे समझदार है वो बारीश को ना छु पाने का कारण बस एक संयोग बताते , अब क्या सच था कोई नहीं जानता था , और ना ही खुद खुशी कुछ जानना चाहती थी बस आपनी किस्मत से हर बार यही सवाल करती "आखिर क्यों हुं मै ऐसी , और कोन है वो जो अक्सर मेरे सपने मे आकर मुझे इतनी खुशिया दे जाता है..? "
'बुंदो की छुअन' इस कहानी मे लेखिका (धड़क) ने बारीश को एक नए नजरिए से देखा है , इस कहानी मे पाठक को प्रेम(love) , रहस्य (thrillar) , कल्पना और का अद्भुत मेल पढ़ने को मिलेगा ।
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