‘इंद्रजीत' शहर का सबसे कुख़्यात गैंगस्टर है. उससे सभी लोग डरते है. अपने सालों से खून में सने हाथो को साफ़ करने उसने अचल संपत्ति का व्यवसाय शुरू करता है. 15 साल की उम्र अपना परिवार खो देने के बाद उसका यही मकसद था कि वो शहर को अपने अधीन करे. निर्दयता, रूखेपन और अकेलेपन से भरे उसके जीवन में अब कोई रोमांच नहीं है.
'हर्षा' एक अनाड़ी, मन मौजी और खुशमिज़ाज़ लड़की है. वो उस ईमारत के पास की ईमारत में काम करती है जहाँ इंद्रजीत काम करता है. एक दिन अप्रत्याशित रूप से उसकी मुलाकात इंद्र से होती है. जिसका फ़िलहाल शौक हर चीज़ को करीने से रखना है.
कहते हैं विपरीत आकर्षित करता है. क्या ऐसा होगा? उन दोनों की मुलाकातों का क्या नतीजा निकलेगा ? क्या वो एक दूसरे के राज़ सही वक़्त पर जान पाएंगे?
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