 
                        
                        प्रस्तुत किताब ''चीन का विस्तारवाद'' चीन के उस खतरनाक खेल को रेखांकित करता है, जिसकी नीति न केवल पडोसी देशों की जमीन को हड़पना रहा है, बल्कि आर्थिक व सैन्य शक्ति से कमजोर मुल्कों पर आधिपत्य कायम करना रहा है।
वह भारत के साथ भी ऐसा शातिर खेल खेल चुका है और 1962 में भारतीय हुक्मरानों की कमजोरी और गलती की वजह से अक्साई चिन को हड़प चुका है।
इन्हीं तथ्यों की पड़ताल इस किताब में की गई है, जो पठनीय और संग्रहणीय है।