‘कोविड-19’ का सार
भारत सहित दुनियाभर के लिए कोविड-19 एक ऐसी दहशतनाक महामारी बनकर उभरी है, जो मनुष्य-से-मनुष्य में फैल रही है। यह किसी वय के व्यक्ति को, कहीं पर भी और किसी समय भी लपेटे में ले सकता है। इसीलिए राजा और रंक; बाल और वृद्ध; सभी इससे डरे-सहमे हुए हैं।
हैरत तो यह कि दुनिया को परमाणु बमों का खौफ दिखानेवाले महाबली मुल्कों के पास भी इसका माकूल इलाज नहीं है। इसके वैक्सीन का निर्माण आरंभिक चरण में ही है।
वैक्सीन के अभाव में इंसान के लिए जो करने की चीज है, वह है परहेज-मास्क पहनना, लगातार सेनिटाइज करना, दो गज की दूरी में रहना, हाथ नहीं मिलाना, गले नहीं लगना, बार-बार साबुन से हाथ धोना और कपड़े-लत्ते व घर-द्वार की लगातार सफाई करते रहना।
बचाव में सेल्फ आइसोलेशन व क्वारेंटाइन भी महती भूमिका का निर्वहन कर सकता है। अर्थात अपनी जान व जहान बचाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आन पड़ी है इंसानों पर।
प्रस्तुत निबंध ‘कोविड-19’ कोरोनावायरस के फैलाव के प्रारंभिक दिनों से अगस्त 2020 तक की स्थिति का आकलन करता हुआ समकालीन दस्तावेज है, जो सर्वथा पठनीय व संग्रहणीय है।
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