हिन्दी गद्य साहित्य की वह लघुत्तम रचना जो पाठक को कुछ ही पल में प्रभावित करने में और उसे गहरे तक सोचने पर विवश करने में समर्थ है वह है लघुकथा। चूँकि लघुकथा में कथानक के विस्तार की गुंजाइश नहीं होती अतः कम से कम शब्दों में ही एक लघुकथाकार को अपनी पूर्ण बात कहनी होती है यानि गागर में सागर भरने जैसी प्रक्रिया। घर-आँगन से, खेत-खलिहान और नौकरी तक आज जीवन का कोई भी ऐसा कोना नहीं जहाँ लघुकथा ने न झांका हो। सुख-दुःख, मान-अपमान, उन्नति-अवनति हर स्थिति का वर्णन लघुकथा कर रही है। आज अनेक लघुकथाकार हैं जो लघुकथा लेखन के क्षेत्र में बहुत अच्छी पकड़ रखते हैं और अपनी प्रभावशाली लघुकथाओं के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं। इस संकलन में समाहित सभी लघुकथाएँ, दहेज सन्दर्भित लघुकथाएँ हैं जिन्हें लघुकथाकारों से विशेष आग्रह कर लिखाया गया है। इन लघुकथाओं में दहेज के विभिन्न रूपों का दिग्दर्शन पाठकों को होगा। सम्भव है इनके पढ़ने के बाद कुछ पाठकों को दहेज रूपी कोढ़ से विरक्ति हो और वे समाज में कुछ ठोस कदम उठाने की ओर अग्रसर हों।