इस शोरगुल भरी दुनिया में, यह एक मौन भेंट है। इसमें लेखिका के गहन आध्यात्मिक अनुभवों का संग्रह है — सूक्ष्म बदलाव, मौन की शक्ति, अदृश्य मार्गदर्शन, और भीतर छुपे ईश्वर का स्पर्श। यह वह क्षण हैं जब परदा हटता है और अनंत की एक झलक मिलती है।
हर अध्याय लेखिका की अंतर्मुखी यात्रा की एक झलक है — एक यात्रा है मौन से, पीड़ा से, सौंदर्य से और कृपा से — और यह बताती है कि ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि भीतरी गुनगुनाहट में है।
यह पुस्तक उन सभी के लिए भी है जिन्होंने भीतर से कोई अदृश्य पुकार महसूस की हो। यह दूर स्थित परमात्मा की खोज नहीं, बल्कि उस सत्य का स्मरण है जो पहले से आपके भीतर जीवित है।
इन शब्दों को अपने साथ चलने दें — एक दर्पण की तरह, एक कोमल मार्गदर्शक की तरह, और इस स्मरण के रूप में कि आपकी आत्मा पहले से ही यह राह जानती है।
इस पुस्तक के साथ बहुत से लोग स्वयं को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। यह दिव्य अनुभव उनकी आत्मा के भी अनुभव हो सकते हैं। यह पूर्ण सत्य है,मां सन्मार्ग का रास्ता दिखाती हैं वो ही प्रत्यंगिरा देवी है वो ही सत्यनारायणी है वो ही सीता है।