डोर क्या है अगर जिंदगी का एक छोटा रूप देखा जाए तो जिंदगी एक रिश्तों की कहानी है और हर रिश्ता एक डोर से बंधा हुआ होता है चाहे वो रिश्ता अपने मां बाप से हो चाहे प्यार का चाहे वह रिश्ता भाई-बहन का हो या दोस्ती का हर रिश्ते में प्यार और विश्वास होना बहुत जरूरी है। नहीं तो कई बार रिश्तों में गांठ पड़ जाती है और वह डोर जो हम बांध कर रिश्ते को आगे बढ़ते है, वह कुछ पलों में ही बिखर जाती है। डोर किताब ऐसे ही कुछ रिश्तों की कहानी है जिसमें एक छोटी सी कोशिश की गई है कि रिश्तों के मायनों को समझाने की जरूरी नहीं कि रिश्ते खून से ही बने हो कई बार रिश्ते आत्मविश्वास के भी होते है, तो कभी इंसानियत के भी कभी रिश्ते मेहनत से बन जाते है तो कभी अपने पन से।
डोर एक ऐसा धागा है जिसमें हर रिश्ता बंधा हुआ है
जरा सी आट आ जाए तो रिश्ते बिखर जाए
जरा सी गांठ आ जाए तो भरोसे बिखर जाए
इन्हीं रिश्तों और भरोसे की कहानी है डोर
एक प्यार की विश्वास की।।