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Dr. Ashok Kumar 'Manglesh' : Kavya Evam Sahitya Chintan / डॉ. अशोक कुमार 'मंगलेश' : काव्य एवं साहित्य चिंतन

Author Name: Dr. Arti 'lokesh' | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

साहित्य के प्रति सम्पूर्ण समर्पण की जीती-जागती मिसाल डॉ. अशोक कुमार ‘मंगलेश’ अपनी साहित्यसेवा को विद्यार्जन व ज्ञानार्जन का मार्ग बताते हैं। सत्य ही है, उनका व्यक्तित्व व कृतित्व अनुकरणीय है। उनका साहित्य किसी परिचय की अपेक्षा नहीं रखता। वह स्वयंसिद्ध है, मील का पत्थर है, एक निकष की मानिंद पारखी है। काल्पनिक रचनाओं से इतर इसमें अटल, अखंड, नश्वर यथार्थ की विचारावली पैठी प्रतीत होती है। 

डॉ. ‘मंगलेश’ की पुस्तकों की उत्कृष्टता स्वयं उद्घोषित करती है कि उनकी लेखनी की परछाईं तक पर कलम चलाना सरल नहीं है।  फिर भी डॉ. ‘मंगलेश’ की मनभर की पुस्तकों पर समीक्षकों ने मन भर-भर कर कलम घिसी है। मैंने स्वयं भी दर्शन से लबालब उनकी लघु कविताओं पर, उनसे उद्धृत वेदना-नीतियों पर पेंसिल फिराई है। उनके महति लेखन की महत्ता उनपर चिंतनपरक समीक्षाओं के संकलन से पोषित होती है। 

इस पुस्तक में डॉक्टर साहब के काव्य तथा साहित्य पर की गई समीक्षाओं को ही सम्मिलित किया है। अध्ययन की दृष्टि से पुस्तक को दो खंडों में विभाजित भी किया है। खंड-1 में काव्य पुस्तकों की समीक्षाएँ रखी गई हैं तो खंड-2 में साहित्यिक समीक्षाएँ सम्मिलित हैं। एक-एक समीक्षा हमें उनकी पुस्तकों के और, और करीब ले जाती है। पाठक शनै:शनै: इन पुस्तकों से एक चिरपरिचित जुड़ाव अनुभव करता है। पुस्तक में सर्वप्रथम साहित्यकार डॉ. ‘मंगलेश’ जी का संक्षिप्त जीवनवृत्त तथा रचनाधर्म समाहित है जिसमें उनकी समस्त पुस्तकाकार रचनाओं का ब्योरा है। स्नेहिल आशा लता खत्री जी द्वारा डॉ. ‘मंगलेश’ पर रची गई दो कविताएँ भी सम्मिलित की गई हैं। डॉ. ‘मंगलेश’ जी के साहित्य की जानकारी उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों के आवरण से भी दी गई है।

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डॉ. आरती 'लोकेश'

बीस वर्षों से दुबई में बसी डॉ. आरती ‘लोकेश’ के दो उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’ तथा ‘कारागार’, काव्य-संग्रह ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’ बहुत चर्चित हुए हैं। कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’ तथा ‘कुहासे के तुहिन’ पर विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है। शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’ पुस्तक से बहुत से शोध-छात्र लाभ उठा रहे हैं। काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’, कथा-संकलन ‘झरोखे’ की ई-पुस्तक भी प्रकाशित है।

डॉ. आरती ‘लोकेश’ यू.ए.ई. के बच्चों की पहली पुस्तक ‘होनहार बिरवान’ तथा यू.ए.ई. के रचनाकारों की पहली हिंदी पुस्तक ‘सोच- इमाराती चश्मे से’ की संपादक हैं। यू.एस.ए. से प्रकाशित ‘राम काव्य पीयूष’ तथा ‘कृष्ण काव्य पीयूष’ काव्य-संग्रह की सह-संपादक तथा सामयिक परिवेश’ अप्रवासी भारतीय विशेषांक मार्च 2021 की उप-संपादक हैं। इन्हें ‘निर्मला स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान’ तथा ‘प्रवासी भारतीय समरस श्री साहित्य सम्मान’ से नवाज़ा गया है। वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स लंडन, भारतीय कौंसलावास दुबई, अंतर्राष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच, वैश्विक हिंदी संस्थान ह्यूस्टन, यू.एस.ए. द्वारा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया है। हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए ‘शुभ संकल्प एवं हुनर फ़ोक्स एकेडेमी’ तथा शिक्षा क्षेत्र में योगदान के लिए ‘हिंदुस्तानी भाषा अकादमी’ द्वारा सम्मानित किया गया है। कविता ‘माँ तुम मम मोचन’ तथा ‘तुम बिन जाऊँ कहाँ’ साहित्यपीडिया द्वारा पुरस्कृत हैं। 

डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य में महाविद्यालय में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।  हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। बनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान से हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि हासिल की। पिछले तीन दशकों से शिक्षाविद डॉ. आरती ‘लोकेश’ (गोयल) शारजाह में वरिष्ठ प्रशासनिक पद पर सेवाएँ दे रही हैं। साथ ही साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं। पत्रिका, कथा-संग्रह, कविता-संग्रह संपादन तथा शोधार्थियों को सह-निर्देशन का कार्यभार भी सँभाला हुआ है। टैगोर विश्वविद्यालय के ‘विश्वरंग महोत्सव’ की यू.ए.ई. निदेशिका हैं। ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ की यू.ए.ई हिंदी समंवयक हैं। ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। 

उनकी कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं  ‘शोध दिशा’, ‘इंद

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