विषय- सूची
भाग-1 : वंश एवं गोत्र
मानव सभ्यता का विकास और जाति की उत्पत्ति
अ. पौराणिक वंश
ब. ऐतिहासिक वंश
स. भविष्य के वंश
गोत्र
मनवन्तर
भाग-2 : काल, युग बोध एवं अवतार
सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त के अनुसार काल, युग बोध एवं अवतार
भाग-3 : शिव और ज्योतिर्लिंग
शिव
ज्योतिर्लिंग : अर्थ
योगेश्वर (ज्ञान का विश्वरूप) और भोगेश्वर (कर्मज्ञान का विश्वरूप)
भाग-4 : द्वादश ज्योतिर्लिंग (अदृश्य काल)
01. सोमनाथ
02. मल्लिकार्जुन
03. महाकालेश्वर
04. ओमकारेश्वर
05. केदारनाथ
06. श्रीभीमशंकर
07. श्रीकाशी विश्वनाथ
08. श्रीत्रयम्बकेश्वर
09. श्रीवैद्यनाथ
10. श्रीनागेश्वर
11. श्रीरामेश्वर
12. श्रीघुश्मेश्वर
भाग-5 : काशी
काशी
मोक्षदायिनी काशी और जीवनदायिनी सत्यकाशी : अर्थ व प्रतीक चिन्ह
भाग-6 : 13वां और अन्तिम ज्योतिर्लिंग (दृश्य काल)
13वां और अन्तिम भोगेश्वरनाथ
“सम्पूर्ण मानक” का विकास भारतीय आध्यात्म-दर्शन का मूल और अन्तिम लक्ष्य
भाग-7 : 2020 - मन का नवीनीकरण
प्रारम्भ के पहले दिव्य-दृष्टि
मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा
नये समाज के निर्माण का आधार
सन् 2020 ई0 - मन का नवीनीकरण
ईश्वरीय समाज
ईश्वरीय समाज निर्माण की कार्यवाही आधारित पुस्तकें
विश्व-नागरिक धर्म का धर्मयुक्त धर्मशास्त्र - कर्मवेद: प्रथम, अन्तिम तथा पंचम वेदीय श्रृंखला
विश्व-राज्य धर्म का धर्मनिरपेक्ष धर्मशास्त्र - विश्वमानक शून्य-मन की गुणवत्ता का विश्वमानक (WS-0) श्रृंखला
“सत्यकाशी महायोजना” (वाराणसी-विन्ध्याचल-शिवद्वार-सोनभद्र के बीच का क्षेत्र)
विश्व का मूल मन्त्र-“जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय ज्ञान-जय कर्मज्ञान”
एक विश्व - श्रेष्ठ विश्व के निर्माण के लिए आवश्यक कार्य