यह कहानी है किसी के अधूरेपन कि, ये कहानी है उस हर इंसान की जो तन्हा है भरी भीड़ में भी।
लेखक ने सिर्फ खुदको ही नहीं , सभी की इस कहानी में लिखा है।
ये किताब एक जिंदगी के दौर की दर्शाती है, पूरे जीवन की दर्शनिकता इस किताब में नहीं है। इस किताब में केवल एक दौर ही दर्शाया गया है सामाजिकता को इंगित करते हुए जो जीवन पर तंज कसे गए है तो कहीं जीवन की मार्मिक अभव्यक्ति भी है। एक सफ़र कहीं अधूरा था उस पुरा करने की कोशिश की है ।
नए वर्ष की खुशी ,तो कहीं खुश रहने का नाटक बहुत ही सुंदर ढंग से दर्शाया गया है।
पढ़िए आप बहुत कुछ छुपा है और भी।