राजूराम मेघवाल द्वारा लिखित यह पुस्तक उनकी आत्मकथा है, जो बचपन से किशोरावस्था के अंत तक की आत्मकथा है। यह उनकी आत्मकथा का पहला भाग है। जिसमें लेखक ने अपने बचपन से किशोरावस्था तक का संक्षिप्त लेखन किया है। इसी समय, इस पुस्तक में लेखक ने अप्रत्यक्ष रूप से समाज, परिवार और वर्तमान बच्चों की समस्याओं को उजागर करने का प्रयास किया है।