‘फ़िबोनाची वितान’, पुस्तक की कहानियों में अनंत फैलाव की संभावना उपस्थित है। न केवल ‘फ़िबोनाची प्रेम’ में अनंत फैलाव प्रेक्षेपित है, ‘गजदंत’ स्त्रीत्व के स्वामित्व, स्वतंत्रता तथा स्वावलम्ब की परिधि के फैलाव की कहानी है तो प्रत्यावर्तन मानवता की प्रगति की किरणों की। ‘श्याम वर्ण के दर्पण’ जीवट से जीवन को एकत्र कर पुनर्स्थापित करती है तो ‘आधी माँ अधूरा कर्ज़’ तार-तार जोड़, भूतकाल को भविष्य में देख एक नई कहानी बुनती है। ‘प्रवासी लेखिका का फेंगशुई’ परिस्थितियों का संकुचन और विस्तीर्णता है तो ‘धूमिल मलिन’ बिखराव को संयत कर एकाग्रता की कथा है। ‘नुक्ताचीनी’ मन के तममय कोने में दबे स्नेह को प्रकाशमान करने की व्यथा है तो ‘लॉकेट’ निजमन को वंचित में आरोपित कर वृहद धरा पर संचरित करने की कथा है। कुछ ऐसे ही रेशे से बुनी ‘तैरते हुए पुल’ अपनी आस्थाओं, पूर्वधारणाओं और पक्षपातों को परित्याग, भिन्न आयाम को अपनाकर मानवता के संवर्धन को दर्शाती है और ‘दुर्घटना की दुआ’ डर से डरे को निडर बनाकर संवेदनाओं व सहानुभूतियों के परिमाण को प्रवर्धित करती है।
यू.ए.ई. की भूमि पर बुनी गई ग्यारह कहानियाँ प्रवासी मन की गुत्थियों को खोलते हुए, उलझनों को दूर कर, एक सुलझी हुई लच्छी बनकर सामने आती हैं। एक महीन बिंदु से आरंभ कर अपरिमेय रवि-किरण बनने की सम्पूर्ण संभावना इन कहानियों में व्याप्त है। स्त्री-संघर्ष के सूक्ष्म पात्र में रची ये कथाएँ, दृढ़ निश्चय का आधान कर, उपायों का संधान कर व अस्तित्व का अभिज्ञान कर अपने व्यक्तित्व को विस्तीर्ण कर सागर बन जाती हैं। एक ऐसा सिंधु जो उसमें डाले गए अवांछित को तट पर पटक आता है। स्त्री प्रधान ये कथाएँ नारी को नारी से मिलवाती हैं तो पुरुष को नारी मन में झाँकने का आमंत्रण देती हैं।
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners