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GEETA JNAN / गीता ज्ञान संत विनोबा विरचित गिताई और गीता प्रवचन के आलोक में

Author Name: Chandan Sukumar Sengupta | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

इस प्रकाशन का प्रमुख उद्देश्य यह है कि संत विनोबा विरचित गिताई और गीता प्रवचन के आलोक में प्रमुख तत्वों को उजागर किया जा सके जो कि व्यक्ति के दैनिक जीवन की कुंजी बन सके और व्यक्ति खुद के व्यक्तित्व विकास विधि में इन शैक्षमिक तत्वों को समाविष्ट कर सकें | संत विनोबा एक अभिनव संत होने के साथ साथ युग पुरुष भी थे जिन्होंने आज़ाद भारत में सर्व धर्म समभाव के आधार पर प्रबुद्ध भारत के नागरिकों  को रचानधर्मी कार्य के लिए कुशल बना सकें | सुर असुर का झगड़ा, दैत्य - दानव का द्वंद और धर्म- अधर्म का संघर्ष प्रत्येक काल खंड में ही होता आया और आनेवाले दिनों में भी होता आता रहेगा | इस भाँति अर्जुन भी जब अपने ही परिजनों को शत्रु पक्ष में खड़ा देख लेते हैं तो उनका मन मोहवश युद्ध करने से मना करता रहा और उस धनुर्धर को जंग के मैदान में एक भ्रम और विषाद में डाल दिया | उस भ्रम और विषाद की स्थिति से सव्यसाची[1] को मुक्त करते हुए उसमें कर्तावयबुद्धि और धृमार्थ सेवा की भावना जागृत करने के उद्देश्य से ही गीता ज्ञान का प्रतिपादन किया गया |

 
[1] अर्जुन का एक और नाम सव्यसाची था क्यूंकी उन्हें अपने दोनों हाथों से हथियार चलाने का कौशल प्राप्त था |

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चंदन सुकुमार सेनगुप्ता

लेखक शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पिछले १९९५ से कार्यरत हैं और विविध विषयों पर २५० से ज़्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं | उनके पास अभी भी सौ से ज़्यादा अप्रकाशित लेख और कई किताबें हैं | 

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