कभी खुली खिड़कियों से आती ताज़ा हवा,
कभी बंद दरवाज़ों के पीछे दबी पुकार।
कभी आसमान में उड़ती चिड़िया की आज़ादी,
तो कभी जड़ से उखड़े पेड़ों की बेकसी।
यह पुस्तक एक सफ़र है—बाहर की दुनिया से भीतर के आत्म-प्रकाश तक। हर
कविता एक एहसास है, जो जीवन के अनछुए पहलुओं को छूती है—मौसम की
बदलती फ़िज़ाओं से लेकर इंसानी जज़्बातों की नमी तक।
यहाँ शब्द केवल लिखे नहीं गए हैं, बल्कि महसूस किए गए हैं। क़लम ने हर
जज़्बात को काग़ज़ पर उकेरा है, कभी एक मुस्कान की तरह हल्की, तो कभी एक
गहरी सोच में डूबी हुई।
यह सिर्फ़ कविताओं का संग्रह नहीं, यह वो आईना है जिसमें आप अपने अनकहे
ख़्वाब और अनसुने एहसास देख सकते हैं।
पढ़िए, महसूस कीजिए, और अपने भीतर की आवाज़ को पहचानिए।
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