दोस्ती जिंदगी से छोटी और उमर से बड़ी है जो की ना तो कभी किशी के सामने झुकी है और ना ही वो किशी के हिस्से में नफरत
पेदा कार्ति है, क्योंकी हम सब अंजान होकर भी एक दसरे के जान कब बन जाते हैं पता ही नहीं चलता
गल्ती से अपने यार की तरफ कोई आंख उठा कर के भी तो देखते उसके बाद हम सामने वाले की क्लास लगा ही देते हैं,
और उश वक्त हम ये नहीं देखते की कौन किशी राज्यों से आया है बश ये देखते हैं की वो अपना है किशी और का नहीं,तो ये सफर
मेरे यारो के नाम............
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