प्रिय पाठक ,
सादर नमन !
गजलों की नई शृंखला मे "जिंदगी गुजर गई "गजलें नवीनतम गजलों की
किताब है |जिसमे मैंने जीवन के गुण रहस्यो को कहने की कोशिश किया
है |जीवन वास्तव मे एक जागरण है |जीवन दर्शन की इस छोटी सी गजल
की किताब मे आपको बेहतर से बेहतर शेर मिलेंगे |
हम भीड़-भाड़ जहरीले हवा के वासी |
काँक्रिटो का जंगल है,जंगल सी हवा नहीं |
पता चला मरने के बाद मैं जिंदा था |
इक जिन्दगी गुजर गई मैंने जिया नहीं ||
इन गज़लों को विभन्न माध्यमों स्टेज ,फिल्मों मे लिया व गाया जा सकता है |
आशा है |आप मेरे प्रेम को स्वीकार कर मुझे अनुग्रहित करेंगें |
आपका
होमन देव सोम