"में कोई कवी या लेखक नहीं हूँ ,
ऐसा भी नहीं कि बहुत कुछ जानता ही हूँ,
बस जो दिल में आता है कह देता हूँ ,
जो कह नहीं पाता लिख देता हूँ,
बड़े कवी की कविताएँ बड़ी होती हैं ,
जो लिख देते हैं पंक्तियाँ वो पंक्तियाँ अटल होती हैं ,
कच्ची मिट्टी के बर्तन तोड़े जा सकते हैं ,
गला कर फिर से बनाये जा सकते हैं ,
कच्चे रास्ते घर तक ले जाते हैं ,
जहाँ जरुरत हो वहां मोड़े जा सकते हैं,
कच्ची कैरी अचार में काम आती हैं ,
बाकि बची बाद में मीठा आम बन जाती हैं,
मेरी कविताएँ कुछ ख़राब कुछ अच्छी हैं ,
में भी कच्चा हूँ ये भी कच्ची हैं।"
-राहुल श्रीवास्तव