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kalki dhaam aur kalki Parichay ​ / कल्कि धाम और कल्कि परिचय

Author Name: Lava Kush Singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

विश्वमानव
प्रकृति प्रदत्त नाम के अलावा जब व्यक्ति को आत्मज्ञान होता है तब वह स्वयं अपने मन स्तर का निर्धारण कर एक नाम स्वयं रख लेता है। 
जिस प्रकार 
”कृष्ण“ नाम है ”योगेश्वर“ मन की अवस्था है, 
”गदाधर“ नाम है ”राम कृष्ण परमहंस“ मन की अवस्था है, 
”सिद्धार्थ“ नाम है ”बुद्ध“ मन की अवस्था है, 
”नरेन्द्र नाथ दत्त“ नाम है ”स्वामी विवेकानन्द“ मन की अवस्था है, ”रजनीश“ नाम है ”ओशो“ मन की अवस्था है। 
उसी प्रकार “लव कुश सिंह” नाम है ”विश्वमानव“ मन की अवस्था है और उसी प्रकार व्यक्तियों के नाम, नाम है ”भोगेश्वर विश्वमानव“ उसकी चरम विकसित, सर्वोच्च और अन्तिम अवस्था है जहाँ समय की धारा में चलते-चलते मनुष्य वहाँ विवशतावश पहुँचेगा।
कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान, साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

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लव कुश सिंह “विश्वमानव”

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

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