ज्योतिष और पौराणिक ग्रंथों में युग का मान अलग-अलग है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चार युग होते हैं। सत, त्रेता , द्वापर और कलि। कहते हैं कि कलयुग में पाप अपने चरम पर होगा। वर्तमान में
कलिकाल अर्थात कलयुग चल रहा है। ग्रंथों में इस युग में क्या-क्या होगा या घटेगा यह स्पष्ट लिखा गया है। यह भी है कि इस युग में जब कहीं भी प्रलय होगा तो सि र्फ हरि कीर्तन ही उस बचाएगा। आओ जानते हैं कि वर्तमान में सावधान क्यों रहें?
1. सतयुग -सतयुग में प्रतिकात्मक तौर पर धर्म के चार पैर थे। सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट अर्थात् लगभग 21 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्र 0 विश्वा अर्थात 0% होती है। पुण्य की मात्रा 20 विश्वा अर्थात् 100% होती है। राजा हरिशचंद्र हुए थे। हरिश्चं द ने सत्य के लिए खुद के परिवार और अंत में खुद का बलिदान भी दे दिया था।
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